
Last Updated on 10/12/2022 by Sarvan Kumar
राजस्थान असंख्य रंगों की भूमि है, जो अपनी बहुलता और विविधता के लिए प्रसिद्ध है. यह विविधता राज्य में रहने वाले विविध जातीय नस्लीय और धार्मिक-सामाजिक समूहों के संदर्भ में परिलक्षित होती है जो राज्य की जनसंख्या का निर्माण करते हैं. हिंदू समुदाय जो विभिन्न जातियों में विभाजित है, राजस्थान की जनसंख्या का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसी क्रम में आइए जानते हैं राजस्थान में सैनी समाज की जनसंख्या के बारे में.
राजस्थान में सैनी समाज की जनसंख्या
मुख्य विषय पर आने से पहले राजस्थान की जाति संरचना को समझना जरूरी है. राजस्थान की जातियों की बात करें तो यहां अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों की एक बड़ी आबादी है. आबादी और राजनीतिक प्रभाव के लिहाज से जाट, राजपूत, गुज्जर, ब्राह्मण और मीणा राजस्थान की प्रमुख प्रभावशाली जातियां हैं. राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग जातियों का प्रभाव है. राजस्थान के उत्तरी भाग में मारवाड़ और शेखावाटी क्षेत्र का कुछ भाग जाट बहुल है. दक्षिणी राजस्थान गुर्जर और मीणा बहुल है. हाड़ौती क्षेत्र, जिसमें कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ जिले शामिल हैं, में ब्राह्मणों, वैश्यों और जैन समुदाय का वर्चस्व है. मत्स्य क्षेत्र में जनसंख्या मिश्रित है. मध्य राजस्थान में, जिसमें जोधपुर, अजमेर, पाली, टोंक, जिले शामिल हैं, मुस्लिम, मीणा, जाट और राजपूतों का प्रभाव है. मेवाड़-वागड़ क्षेत्र यानि उदयपुर संभाग आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है.
सैनी समुदाय की बात करें तो उत्तरी जिलों जैसे अलवर, भरतपुर, झुंझुनू और जयपुर में इनकी बड़ी सघनता है. राजस्थान में निवास करने वाले सैनी समाज के लोग राजा शूरसेन के वंशज होने का दावा करते हैं. इन्हें राज्य के कुछ हिस्सों में फूलमाली के नाम से भी जाना जाता है. इस समुदाय के लोग दावा करते हैं कि वे राजपूत थे. मुस्लिम हमले के कारण राजपूतों के एक वर्ग ने अपनी जान बचाने के लिए बागवानी के पेशे को अपना लिया, इसीलिए कालांतर में इन्हें फूलमाली के नाम से जाना जाने लगा. इनमें से कई ब्राह्मण वंश से संबंधित होने का दावा भी करते हैं.आइए अब मुख्य विषय पर आते हैं और राजस्थान में सैनी जाति की जनसंख्या के बारे में जानते हैं.
•जातीय आँकड़ों को दर्शाने वाली अंतिम जनगणना 1931 ई. में हुई थी. इस जनगणना में राजपूताने की समस्त रियासतों एवं अजमेर-मेरवाड़ा प्रांत में निवास करने वाली मुख्य जातियों के प्रतिशत का उल्लेख किया गया था. 1931 के जनगणना में राजपूताना में माली सैनी की आबादी 3.25 प्रतिशत दर्ज की गई थी.
•राजस्थान प्रदेश माली (सैनी) महासभा के दावे के अनुसार राजस्थान प्रदेश में माली (सैनी) समाज की 10 प्रतिशत आबादी है.
•सैनी समुदाय के लोग दावा करते हैं कि माली, सैनी, कुशवाहा, शाक्य और मौर्य समाज का प्रदेश की आबादी में 12% योगदान है.
• प्रदेश आरक्षण संघर्ष समिति, माली सैनी, कुशवाहा, शाक्य, मौर्य समाज के संयोजक मुरारी लाल सैनी के दावे के अनुसार, राजस्थान में सैनी, कुशवाहा, माली, मौर्य और शाक्य समुदायों की सामूहिक आबादी 1.5 करोड़ से अधिक है.
References:
•People Of India:Rajasthan(ppart2)
Volume 2
By K. S. Singh · 1998
•Reserved castes in Rajasthan
राजस्थान में आरक्षित जातियाँ
By Dr. Mohan Lal Gupta
•https://www.bhaskar.com/news/latest-bhilwara-news-034106-2323963.html

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