Last Updated on 10/07/2022 by Sarvan Kumar
कछवाहा भारत में पाया जाने वाला एक प्रमुख राजपूत वंश है. कछवाहा राजपूतों का इतिहास अत्यंत ही समृद्धशाली रहा है. इस वंश का कई राज्यों और रियासतों पर पर शासन रहा, जिनमें प्रमुख हैं- जयपुर, अलवर, मैहर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार. आइए जानते हैं बिहार के कछवाहा राजपूतों के बारे में-
कछवाहा राजपूत इन बिहार
कछवाहा राजपूत अयोध्या के राजा श्री राम के पुत्र कुश के वंशज होने का दावा करते हैं. बिहार में कछवाहा वंश के इतिहास की बात करें तो कहा जाता है कि महाराजा कुश के वंशजो की एक शाखा अयोध्या से चलकर साकेत आयी और साकेत से, बिहार मे1 सोन नदी के किनारे रोहिताशगढ़ (बिहार) आकर उन्होंने वहां रोहताशगढ किला बनाया. जानकारों का मानना है कि रोहतासगढ़ किला त्रेतायुगीन है. इस किले का निर्माण श्री राम के पूर्वजों में से एक सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व ने करवाया था. कैमूर की पहाड़ियों पर स्थित यह किला कभी सत्ता का केंद्र हुआ करता था. विभिन्न काल खंडों में यह किला अलग-अलग शासकों के अधीन रहा, जैसे- आदिवासी राजा (खरवार उरांव चेर ) और शेरशाह. शेरशाह के बाद इस किले से ही अकबर के शासनकाल में बिहार और बंगाल के सूबेदार आमेर के कछवाहा राजपूत राजा मानसिंह ने यहां से शासन सत्ता चलाई गई और यह सत्ता का केंद्र बना. जयपुर की राजकुमारी दिया कुमारी के अनुसार, जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह भगवान राम के बड़े पुत्र कुश के 289वें वंशज थे. कुश के नाम पर कछवाहा वंश को कुशवाहा वंश भी कहा जाता है. बिहार में कुशवाहा या कच्छवा समाज सबसे तेजी से विकास समुदायों में से एक है. यहां प्राचीन वैदिक क्षेत्रीय कृषक जाति के रूप में इनकी ख्याति है. जमींदारी प्रथा के उन्मूलन से पहले इनमें से कई छोटे-बड़े जमींदार थे. बिहार में आज भी कुशवाहा के पास काफी जमीन है. शिक्षा के क्षेत्र में यह समाज तेजी से विकास कर रहा है. सरकारी नौकरियों में इनकी महत्वपूर्ण उपस्थिति है. 6-8 प्रतिशत आबादी होने के कारण यह समाज राजनीतिक रूप से काफी प्रभावशाली है. राज्य में में कुशवाहा जाति के विधायकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है.