Last Updated on 05/01/2022 by Sarvan Kumar
कर्मकार (Karmakar) भारत और बांग्लादेश में पाई जाने वाली एक जाति है. जीवन यापन के लिए यह पारंपरिक रूप से लोहार (Blacksmith) का काम करते हैं. यह ‘नबासख’ समूह (Nabasakh) में शामिल 14 जातियों में से एक हैं. ‘नबासख’ समूह में शामिल 14 जातियां इस प्रकार हैं-गंधबनिक, शंखबनिक, कंसबानिक (कंसारी), तंबुलीबनिक, गोप (सदगोप), तंतुबे, मोदक, नापित, तीली, मालाकार, कर्मकार, कुंभकार, बरुई और मधुनापित.आइए जानते हैं कर्मकार समुदाय का इतिहास, कर्मकार की उत्पति कैसे हुई?
कर्मकार किस कैटेगरी में आते हैं?
भारत सरकार की सकारात्मक भेदभाव की व्यवस्था आरक्षण के अंतर्गत इन्हें पश्चिम बंगाल में अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Class, OBC) में शामिल किया गया है.
पॉपुलेशन, कहां पाए जाते हैं?
भारत में यह मुख्य रूप से पूरे पश्चिम बंगाल राज्य में पाए जाते हैं.
धर्म
धर्म से यह हिंदू होते हैं. परंपरागत रूप से भगवान विश्वकर्मा में इनकी विशेष आस्था है. यह पूरे साल इनकी पूजा करते हैं. यह प्रत्येक साल बंगाली कैलेंडर में भद्र महीने के आखिरी दिन यानी कि 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की जयंती को बड़े धूमधाम और श्रद्धा भाव से मनाते हैं.
कर्मकार की उत्पत्ति कैसे हुई?
एक प्रचलित मान्यता के अनुसार, यह भगवान विश्वकर्मा से अपनी उत्पत्ति का दावा करते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह दावा करते हैं कि इनके पूर्वज निर्माण और सृजन के देवता विश्वकर्मा और एक शुद्र माता के पुत्र थे. बता दें कि हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को शिल्पकार देवता और दिव्य वास्तुकार माना जाता है. इनका इतिहास समृद्ध और गौरवशाली रहा है. हमेशा कुछ नया करने की प्रवृत्ति के कारण इंजीनियरिंग और नवाचार (innovation) के क्षेत्र में इनका विशेष योगदान रहा है. पेशे से लोहार कर्मकार इंजीनियरिंग क्षेत्र में उत्कृष्ट कृतियों के निर्माण के लिए जाने जाते हैं.
‘जहान कोशा’ और ‘दल मदल कमान’ तोप
साल 1637 में, सिलहट के जनार्दन कर्मकार (लोहार) ने मुर्शिदाबाद के महान विध्वंसक तोप, ‘जहान कोशा तोप ‘ (Jahan Kosha Cannon) ‘विश्व विनाशक’
(Destroyer of the World) का निर्माण किया था, जिसकी लंबाई 18 फीट और वजन लगभग 7 टन है.
इस तोप के निर्माण में अष्टधातु यानी कि 8 धातुओं; चांदी, सोना, सीसा, तांबा, जस्ता, टिन, लोहा और पारा; का
प्रयोग किया गया था. वर्तमान में इसे मुर्शिदाबाद जिले के एक तोप खाने में रखा गया है, जो जिले के दक्षिण पूर्व में स्थित कटरा मस्जिद से लगभग एक चौथाई मील दूरी पर स्थित है. इसी तरह से, साल 1565 में जगन्नाथ कर्मकार ने मल्लभूम राज्य (Kingdom of Mallabhum) के लिए दल मदल कमान (Dal Madal Kaman) नाम के एक विराट तोप का निर्माण किया था.18वीं शताब्दी के अंत में, पंचानन कर्माकर ने
अनुसंधान और नवाचार उत्कृष्ट नमूना पेश करते हुए बंगाली मुद्रण उद्योग में एक जंगम प्रकार (movable type) की पंच चिह्नित बंगाली लिपियों का आविष्कार किया था.
Disclosure: Some of the links below are affiliate links, meaning that at no additional cost to you, I will receive a commission if you click through and make a purchase. For more information, read our full affiliate disclosure here. |
See List of: |