Last Updated on 13/03/2023 by Sarvan Kumar
पंडित एक ऐसा शब्द है जिसके कई अर्थ हैं. आमतौर पर लोग इस शब्द का अर्थ पुजारी समझते हैं. शब्द-संग्रहों के अनुसार इस शब्द का अर्थ ऐसे हिन्दू व्यक्ति से है जो संस्कृत, हिन्दू दर्शन और धार्मिक विषयों का ज्ञाता हो. लेकिन इस शब्द का अर्थ यहीं तक सीमित नहीं है, इसके और भी कई अर्थ हैं. अधिकांश लोग इस शब्द को जाति सूचक भी मानते हैं. इसी क्रम में यहां हम कायस्थ पंडित के बारे में जानेंगे.
कायस्थ पंडित
कायस्थ पंडित (Kayastha Pandit) के बारे में जानने से पहले यह आवश्यक है कि हम पंडित शब्द के बारे में विस्तार से जान लें.
•प्राचीन भारत में वेद शास्त्र आदि के ज्ञाता पंडित कहलाते थे. पंडित का एक अर्थ है विद्वान या शिक्षक, विशेष रूप से वह जो संस्कृत और हिंदू रीति-रिवाजों, धार्मिक नियमों, हिंदू दर्शन, वेद, कर्मकांड का जानकार हो. इसीलिए भारत में पंडित पारंपरिक रूप से पुजारियों का काम करते रहे हैं और उन्हें यज्ञों, अन्य कर्मकांडों और धार्मिक अनुष्ठानों में वेद मन्त्रोच्चार के लिए बुलाया जाता रहा है. परंपरागत रूप से यह सभी कार्य ब्राह्मण करते आए हैं. यह भी देखा गया है कि पंडित उपनाम अधिकतर ब्राह्मणों में ही पाया जाता है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि पंडित एक जाति सूचक है जो ब्राह्मणों को संदर्भित करता है.
• धर्म की परिधि से परे पंडित शब्द का अर्थ होता है ऐसा व्यक्ति जो किसी विद्या में निपुण या विद्वान हो. किसी विशेष विद्या का ज्ञान रखने वाला ही पंडित होता है. उदाहरण के लिए प्रोग्रामिंग पंडित, मार्केटिंग पंडित आदि. जिस तरह मुस्लिम संगीतकारों को सम्मानपूर्वक उस्ताद कहा जाता है, हिंदू संगीतकारों को “पंडित” की उपाधि दी जाती है. इस प्रकार पंडित कोई जाति नहीं अपितु किसी क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए दिया जाने वाला सम्मान सूचक शब्द है.
आइए अब उपरोक्त तथ्यों के आधार पर कायस्थ समाज का विश्लेषण करते हैं.
पद्मपुराण के कथानक के आधार पर कायस्थ समुदाय के मूल पुरुष महाराज चित्रगुप्त ब्राह्मण वर्ण के थे. इस प्रकार उनके वंशज भी ब्राह्मण हुए. प्रसिद्ध धर्मशास्त्री डा. पी. वी. काणे के अनुसार कायस्थ जाति का उदय लेखकों का काम करने वाले ‘करण’ नामक जाति से हुआ है जो ब्राह्मणों में से ही अलग एक समुदाय का नाम था. राजतरंगिणी में 12वीं शताब्दी के शिवरथ नामक एक ब्राह्मण को कायस्थ बताया गया है. शेरिंग की पुस्तक “हिंदू ट्राइब्स एंड कस्टम्स” में लिखा है कि कायस्थों के आचरण और रीति-रिवाज ब्राह्मणों के समान हैं और वे खुद को ब्राह्मण कहते हैं. हालांकि इस समुदाय के ज्यादातर लोग पुजारी का काम नहीं करते हैं लेकिन कई पुस्तकों में उल्लेख किया गया है कि असम, कर्नाटक, गुजरात, उड़ीसा, में करण या कायस्थ पुजारी अर्थात पंडित हैं.
कायस्थ समाज को शिक्षित बुद्धिजीवी वर्ग माना जाता है. स्वामी विवेकानंद, श्री अरबिंदो, मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा जैसी विभूतियों ने इस समुदाय में जन्म लिया है. इस समाज में कई दार्शनिक, इतिहासकार, वैज्ञानिक, लेखक, वकील और आध्यात्मिक व्यक्ति हुए हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में विद्वान रहे हैं. इस आधार पर भी कायस्थों को पंडित कहना या पंडितों के समान मानना उचित प्रतीत होता है.