Last Updated on 13/03/2023 by Sarvan Kumar
कायस्थ और राजपूत भारत में रहने वाली दो प्रमुख जातियाँ हैं. ये दोनों जातियां सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक रूप से काफी प्रभावशाली मानी जाती हैं. कायस्थ अपनी बुद्धिमत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं, जबकि राजपूत अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध हैं. यहां हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से इन दोनों समुदायों के बीच समानताओं को जानेंगे और उनके बीच के अंतर को रेखांकित करने का प्रयास करेंगे. तो आइए जानते हैं कायस्थ और राजपूत के बारे में.
कायस्थ और राजपूत
• राजपूत अपनी आन, बान और शान के लिए जाने जाते हैं. कायस्थ जाति को शिक्षित, सुसंस्कृत, अनुशासित और विनम्र जाति के रूप में में पहचान है.
• राजपूत एक शासक वर्ग है जिसे सामाजिक पदानुक्रम में वर्ण व्यवस्था के तहत क्षत्रिय वर्ण का माना जाता है. वहीं, वर्ण व्यवस्था के तहत कायस्थ को ब्राह्मण, क्षत्रिय और शूद्र बताया गया है. इन सबके विपरीत, कुछ विद्वानों का मत है कि यह समुदाय वर्ण व्यवस्था के तहत किसी एक वर्ण में फिट नहीं बैठता है और यह वर्ण व्यवस्था के दायरे से बाहर पाँचवें वर्ण का है.
• हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कायस्थ धर्मराज श्री चित्रगुप्त भगवान की संतान हैं तथा श्रेष्ठ कुल में जन्म लेने के कारण इन्हें ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों धर्मों को धारण करने का अधिकार प्राप्त हैंं.
• राजपूतों की पहचान तलवार से हैं और स्पष्ट रुप से इनकी पहचान एक योद्धा जाति के रूप में रही है. युद्ध के मैदान में राजपूतों का हमेशा से वर्चस्व रहा है. वहीं, कायस्थ की पहचान लेखक जाति के रूप में रही है. कलम को इनका हथियार माना जाता है. कायस्थ प्राचीन भारत में एक नौकरशाही पद था जिसके लिए उत्कृष्ट लेखन क्षमता, उच्च स्तर के प्रबंधन और प्रशासनिक कौशल की आवश्यकता होती थी. पुराणों के अनुसार कायस्थ प्रशासनिक कार्यों का निर्वहन करते हैं. प्रशासनिक कार्यों में इस जाति का हमेशा से वर्चस्व रहा है.
• हालांकि कायस्थ भी पूर्व में राजपूतों की तरह योद्धा, शासक और राजा रहे हैं, लेकिन ब्राह्मणों की तरह उनका झुकाव शिक्षा की ओर रहा है. और यह समुदाय अपना पारंपरिक लेखन कार्य करता रहा है जिसमें लेखा-जोखा लिखना भी शामिल है.