
Last Updated on 28/06/2023 by Sarvan Kumar
कुर्मी बिहार में पाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण जाति है. कुर्मी भगवान श्री राम के पुत्र लव से अपने वंश का दावा करते हैं. आइए जानते हैं बिहार में कुर्मी जाति की जनसंख्या कितनी है?
बिहार में कुर्मी जाति की जनसंख्या कितनी है?
बिहार में कुर्मी जाति की जनसंख्या जानने से पहले आइए थोड़ा जातीय जनगणना (caste census) के इतिहास को जान लेते हैं. भारत में पहली बार जनगणना 1881 में हुई थी. तब से हर 10 साल पर जनगणना होती आ रही है. साल 1931 तक जाति के आधार पर भी आंकड़े जुटाए गए थे. साल 1941 में जाति के आधार पर आंकड़े तो जुटाए गए लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया. जब देश की आजादी के बाद 1951 में जनगणना हुई तो सरकार ने तय किया कि केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आंकड़े जुटाए जाएंगे. इसके बाद केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आंकड़े ही जारी होते हैं. अर्थात, 1951 के बाद सामान्य वर्ग और ओबीसी वर्ग की जातियों के आंकड़े ना जुटाए गए, ना जारी किए गए. अब अपने मूल विषय बिहार में कुर्मी जाति की जनसंख्या पर आते हैं. “दैनिक भास्कर” में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, 1931 में जब अंतिम बार जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए गए तो उस समय बिहार, झारखंड उड़ीसा एक रियासत थी. अविभाजित बिहार की कुल जनसंख्या 3 करोड़ 85 लाख थी. हिन्दुओं में यादवों की संख्या 1931 में भी सबसे अधिक थी. इस जनगणना में कुर्मी जाति की जनसंख्या 14.52 लाख दर्ज की गई थी. अब भी शेष बिहार में यादवों की जनसंख्या सबसे ज्यादा 14.60 प्रतिशत है. कुर्मी 3.3 प्रतिशत हैं. अपुष्ट आंकड़ों के आधार पर कुर्मी जाति की जनसंख्या के बारे में अलग-अलग दावे किए जाते हैं. हिन्दी न्यूज़ टीवी चैनल आज तक (Aaj Tak) के मुताबिक, बिहार में कुर्मी समाज की आबादी करीब 4% के करीब है. इसमें अवधिया, समसवार, जसवार जैसी कई उपाजतियों में विभाजित है. न्यूज़ चैनल News18 के मुताबिक, बिहार में कुर्मी 4 प्रतिशत हैं. बता दे कि बिहार के बांका, भागलपुर, खगड़िया, बिहारशरीफ, नालंदा, लखीसराय, शेखपुरा और बाढ़ आदि क्षेत्र में कुर्मी समाज की मजबूत उपस्थिति है. शिक्षा के क्षेत्र में यह समाज तेजी से विकास कर रहा है. प्रशासन में भी इनकी भागीदारी लगातार बढ़ रही है. कुर्मी समाज के लोग राजनीतिक समझ रखते हैं और राजनीति रूप से बहुत जागरूक होते हैं. यही कारण है कि कम जनसंख्या होने के बावजूद भी कुर्मी समाज बिहार में राजनीति रूप से बहुत प्रभावी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कुर्मी जाति से आते हैं. जिस प्रकार से लालू प्रसाद मुस्लिम यादव समीकरण के सहारे बिहार की सत्ता पर काबिज हुए. उसी प्रकार से, नीतीश कुमार के बिहार के मुख्यमंत्री बनने में “लव-कुश समीकरण” का बहुत बड़ा योगदान है. कुर्मी समुदाय और कुशवाहा (कोइरी) समूह को एक साथ “लव-कुश” कहा जाता है, जो बिहार की आबादी का लगभग 10 प्रतिशत हैं. लव-कुश समीकरण के दम पर नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू यादव के किले को भेदने में कामयाब हुए थे.
References;
https://www.bhaskar.com/news/SPL-BIHEL-caste-data-how-much-has-changed-since-1931-5060305-NOR.html
https://indianexpress.com/elections/explained-what-is-luv-kush-bihar-politics-6787441

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