Last Updated on 14/08/2022 by Sarvan Kumar
कुर्मी एक कृषक जाति है जो पूरे उत्तर भारत और मध्य भारत में व्यापक रूप से वितरित है. मध्य भारत में कुर्मी जाति की कई उपजातियां पाई जाती हैं जैसे- चंदनहुष, उसरेती, देश कुर्मी, पतरिया, गौर कुर्मी, कनौजिया और मनवा कुर्मी, आदि. आइए जानते हैं मनवा कुर्मी के बारे में.
मनवा कुर्मी का इतिहास
कुर्मी शब्द की व्युत्पत्ति कृषि या भगवान विष्णु के
कूर्म अवतार या कच्छप अवतार से मानी जाती है, जिसमें भगवान विष्णु ने कछुआ के रूप में अवतार लिया था. कुर्मी समुदाय के लोग कुशल कृषक होते हैं. हालांकि कुर्मी समाज के लोगों का मुख्य पेशा कृषि रहा है, लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी इस समुदाय के लोगों ने बहुत नाम कमाया है. मनवा कुर्मी (Manwa Kurmi) की बात करें तो कुर्मियों की यह उपजाति मुख्य रूप से मध्य भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में पाई जाती है. इन्हें मनवा कुर्मी समाज (Manwa Kurmi Samaj) या मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज (Manva Kurmi Kshatriya Samaj) के नाम से भी जाना जाता है. अन्य कुर्मी उपजातियों के भांति, मनवा कुर्मी समाज के लोग भी मुख्य रूप से खेती-किसानी करके अपना जीवनयापन करते हैं. बेहतर फसल के पैदावार में इस समाज के लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज लोग प्रतिभासंपन्न और काफी प्रगतिशील सोच के होते हैं. इनमें अपनी क्षमताओं को पहचान कर आगे बढ़ने की ललक होती है. छत्तीसगढ़ में इस समुदाय के लोगों की अच्छी खासी जनसंख्या है. इनकी गिनती प्रदेश के सबसे प्रगतिशील और शिक्षित समुदायों में होती है. मनवा कुर्मी समाज के लोग विकास के पथ पर चलने के लिए सामाजिक एकता के महत्व को भली-भांति समझते हैं. इसीलिए यह अपने सामाजिक नियमों का श्रद्धापूर्वक पालन करते हैं. “Central Provinces District Gazetteers: Raipur District Descriptive, Vol. A” में मनवा कुर्मियों के बारे में उल्लेख किया गया है कि ” मनवा कुर्मी सन (Hemp) बोते हैं और रस्सी बनाते हैं. कुर्मी समुदाय के अन्य उपजातियों द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है और सन बोना पाप समझा जाता है.” इससे यह पता चलता है कि मनवा कुर्मी समाज शुरू से ही रूढ़िवाद और अंधविश्वास का विरोधी रहा है. यह समाज के लोग समझते हैं कि सामाजिक कुरीतियां विकास के मार्ग में बाधा है. यही कारण है कि आर्थिक रूप से कमजोर मनवा कुर्मी समुदाय के लोग खर्चीली शादियों के बजाय सादगी पूर्ण शादियों पर जोर देते हैं. समाज के द्वारा विधवा और विदुर विवाह को बढ़ावा दिया जाता है. छत्तीसगढ़ राज्य की प्रगति में मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज के लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल मनवा कुर्मी समुदाय से आते हैं. बघेल साल 1993 से ही मनवा कुर्मी क्षत्रीय समाज के संरक्षक रहे हैं. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले बघेल ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में सराहनीय काम किया है. सख्त फैसले लेने के लिए मशहूर बघेल के नेतृत्व में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि के क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ का उल्लेखनीय विकास हुआ है. बघेल सिर्फ एक राजनेता नहीं है बल्कि वह सामाजिक सुधारों पर भी बहुत जोर देते हैं. भव्य शादियों के बजाय कम खर्च में शादी करने को बढ़ावा देते हैं तथा इसके लिए वह सामूहिक विवाह का आयोजन भी करते रहे हैं.
References;
•फ़ैज़ाबाद सांस्कृतिक गज़ेटियर,
By नीतू सिंह (2016)
•Raipur District, Volume A, Descriptive
1909
•Chhattisgarhi Lokoktiyan Aur Janjeevan
By Anasūyā Agravāla · 2001
•https://www.naidunia.com/chhattisgarh/raipur-manwa-kurmi-samaj-manwa-kurmi-kshatriya-samaj-came-forward-to-contribute-to-the-progress-of-chhattisgarh-7122729
•https://www.bhaskar.com/manwa-kurmi-society-engaged-in-avoiding-costly-marriage-071612-3401656.html/