Ranjeet Bhartiya 26/12/2021
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Last Updated on 16/06/2023 by Sarvan Kumar

साल 1998: 1998 में जोधपुर के नजदीक किसी गांव में, फिल्म शूटिंग करते हुए  सलमान खान और अन्य फ़िल्मी स्टार्स ने 2 काले हिरण का शिकार किया और फिर बिश्नोई समाज ने 20 साल तक कोर्ट का पीछा नहीं छोड़ा. 2018 में सलमान खान को 5 साल की सज़ा हुई. आज भी सलमान खान पर इस घटना का असर है
साल 1730: 1730 में राजस्थान के मारवाड़ में खेजड़ली नामक स्थान पर जोधपुर के महाराजा द्वारा हरे पेड़ों को काटने से बचाने के लिए, अमृता देवी ने अपनी तीन बेटियों आसू , रत्नी और भागू के साथ अपने प्राण त्याग दिए। उसके साथ 363 से अधिक अन्य बिश्नोई , खेजड़ी के पेड़ों को बचाने के लिए मर गए.शहीद होने से पहले अमृता देवी ने कहा था.

सिर साटे, रूंख रहे, तो भी सस्तो जांण।

यदि किसी व्यक्ति की जान की कीमत पर भी एक पेड़ बचाया जाता है, तो वह सही है

इन दो घटनाओं से बिश्नोई समाज के प्रकृत्ति प्रेम का अंदाजा लगाया जा सकता है. तो आखिर बिश्नोई समाज इतना प्रकृत्ति प्रेमी क्यों है? आखिर एक पेड़ को बचाने के लिए ये अपनी जान क्यों दे देते हैं.

इसकी शुरुआत होती है आज से लगभग 500 साल पहले जब 1485 में जब गुरू श्री जम्भेश्वर यानि गुरु जाम्भोजी ने बिश्नोई पंथ की स्थापना की थी. वे हरे वृक्षों को काटने एवं चराचर जगत के जीव -जन्तु ,किट -पतंगें सभी जीवों कि हत्या को पाप मानते थें.वे हमेशा पेड़ पौधों वन एवं वन्यजीवों सभी जानवरों पृथ्वी पर चराचर सभी जीव जंतुओं की रक्षा करने का संदेश देते थे. एक समय था जब हरियाणा, राजस्थान समेत पश्चिम उत्तर प्रदेश में बिश्नोई परिवार की तूती बोलती थी. इन प्रदेशों में अगर कोई विधायक अपने बूते भी जीतता भी था तो वो बिश्नोई परिवार के दरबार ज़रूर जाता था. भजन लाल बिश्नोई, कुलदीप बिश्नोई- चंद्रमोहन बिश्नोई, ये नाम बिश्नोई समाज के पर्याय बन चुके थे. आइए जानते हैं बिश्नोई समाज का इतिहास, बिश्नोई शब्द की उत्पति कैसे हुई?

बिश्नोई शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?

गुरु जाम्भो जी द्वारा स्थापित संप्रदाय के कई प्रचलित नाम हैं, जैसे वैष्णव (Vaishnav) विश्नोई (Vishnoi) वैष्णोई (Veshnoi) विष्णु धर्म (Vishnu Dharam) वैष्णवी (Vaishnavi), बिश्नोई (Bishnoi) इत्यादि. बिश्नोई समाज के ये सारा नामकरण विष्णु शब्द से मिलता जुलता है. विष्णु यानि भगवान विष्णु. विष्णु हिन्दू त्रिमूर्ति में से एक हैं, जिनमें ब्रह्मा, विष्णु और शिव शामिल हैं। विष्णु को सृष्टि का पालक, संरक्षक और संहारक माना जाता है। विष्णु के बहुत सारे अवतार हैं, जिनमें राम और कृष्ण सबसे प्रसिद्ध हैं. भगवान विष्णु के परम भक्त गुरुदेव जांभोजी का जन्म 1451 ईस्वी की भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को पीपासर गांव (वर्तमान नागौर, राजस्थान में) हुआ था। उनके पिता लोहट जी, पंवार वंश के राजपूत थे तथा माता हंसा देवी थी.1485 ईस्वी में गुरु जंभेश्वर ने समराथल (बीकानेर) में विश्नोई संप्रदाय का प्रवर्तन किया. उन्होंने अपने अनुयायियों को 29 नियमों की पालना करने को कहा जिसकी वजह से इस संप्रदाय का नाम बिश्नोई (बीस+नौ) संप्रदाय पड़ा.

बिश्नोई समाज का इतिहास

बिश्नोई या विश्नोई (Bishnoi or Vishnoi) पश्चिमी थार रेगिस्तान और भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्यों में पाया जाने वाला एक हिंदू समुदाय है. यह राजस्थान के मूल निवासी हैं. पर्यावरण के प्रति अपने प्रेम के कारण यह समुदाय पर्यावरण रक्षकों के रूप में जाना जाता है. बिश्नोई स्वभाव से मेहनती, निडर, साहसी और बहादुर होते हैं. यह शाकाहारी होते हैं. अधिकांश बिश्नोई जीवन यापन के लिए कृषि और पशुपालन करते हैं. भारत में इनकी कुल जनसंख्या 10 लाख के करीब है.यह मुख्य रूप से राजस्थान में पाए जाते हैं. हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब और गुजरात में भी इनकी आबादी है. यह हिंदू धर्म का पालन करते हैं. बिश्नोई वैष्णव संप्रदाय के एक उप-संप्रदाय हैं. खेजड़ी के हरे वृक्षों की रक्षा करने के लिए अमृता देवी बिश्नोई के नेतृत्व में 363 बिश्नोईयों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिये थे। बिश्नोई विशुद्ध शाकाहारी होते हैं।आइए जानते हैैं बिश्नोई समाज का इतिहास, बिश्नोई शब्द की उत्पति कैसे हुई?

बिश्नोई जाति की उत्पत्ति कैसे हुई?

बिश्नोई शब्द की उत्पत्ति “बिस+नोई” से हुई है. स्थानीय भाषा में “बिस” का अर्थ होता है-“20”, और “नोई” का अर्थ होता है-“9”. गुरु जम्भेश्वर ने अपने अनुयायियों को 29 उपदेश दिए दिए थे, जिसका समुदाय पालन करता है. इसी कारण इस समुदाय का नाम “बिश्नोई” पड़ा. स्थानीय बोली में एक कहावत प्रचलित है,”

उनतीस धर्म की अखाड़ी, हृदय धरियो जोय, जम्भेजी कृपा कर, नाम बिश्नोई होय”

जो लोग गुरु जम्भेश्वर के 29 सिद्धांतों का हृदय से पालन करेंगे, गुरु जंभोजी उन्हें आशीर्वाद देंगे और वह बिश्नोई होंगे. ऐसी मान्यता है कि श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान विष्णु के अवतार थे, इनसे बना ‘विष्णोई’ शब्द कालातंर में परिवर्तित होकर पहले विश्नोई और फिर बाद में बिश्नोई हो गया. बिश्नोई समुदाय में सभी उत्तर भारतीय जातियों के लोग शामिल हैं, लेकिन अधिकांश बिश्नोई राजस्थान के जाट और राजपूत जातियों से हैं. बिश्नोई पंथ की स्थापना श्री गुरु जम्भेश्वर (1451-1536) ने की थी, जिन्हें जम्भोजी के नाम से भी जाना जाता है. कुछ लोग “विश्नोई_ शब्द का प्रयोग करते हैं, अर्थ होता है- “भगवान विष्णु के अनुयाई”.जबकि अधिकांश खुद को बिश्नोई कहते हैं.  गुरु जम्भेश्वर ने स्वयं विश्नोई का उल्लेख नहीं किया, लेकिन विशन का उल्लेख किया है. गुरु जम्भेश्वर के प्रति श्रद्धा और समर्पण के कारण यह जम्बेश्वरपंथी के रूप में भी जाने जाते हैं.

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