Ranjeet Bhartiya 04/08/2022

Last Updated on 11/08/2022 by Sarvan Kumar

वर्ण व्यवस्था हिंदू समाज की मूल संरचना बनाती है. इस व्यवस्था के अंतर्गत समाज को 4 वर्गों में बांटा गया है -ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र. कुर्मी जाति की बात करें तो इस समुदाय के लोग क्षत्रिय होने का दावा करते हैं. लेकिन कहीं-कहीं पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आने वाली जातियों को जातिवादी मानसिकता के लोगों द्वारा शूद्र बता दिया जाता है. तो क्या कुर्मी शुद्र हैं? आइए जानते हैं.

क्या कुर्मी शुद्र हैं?

हिंदू धर्म में, वर्ण व्यवस्था गुण-कर्म-योग्यता पर आधारित सामाजिक स्तरीकरण है. इस प्रणाली के अंतर्गत समाज को चार वर्णों या श्रेणियों में विभाजित किया गया है. इन चार श्रेणियों को इस प्रकार परिभाषित किया गया है- (1) ब्राह्मण (पुजारी, शिक्षक, बुद्धिजीवी), (2) क्षत्रिय (योद्धा, राजा, प्रशासक), (3) वैश्य (कृषिविद, व्यापारी, किसान) और (4) शूद्र (श्रमिक, मजदूर, कारीगर). कुर्मी पारंपरिक रूप से कृषक रहे हैं. वर्तमान में यह समाज सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन का शिकार है. आरक्षण प्रणाली के अंतर्गत इन्हें भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कैटेगरी में रखा गया है. बिहार उत्तर प्रदेश झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में इन्हें ओबीसी में शामिल किया गया है. झारखंड में पिछड़ेपन का दंश झेल रहा यह समाज लंबे समय से अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल करने की मांग करता रहा है. वहीं, गुजरात के पटेल पाटीदार जिन्हें वर्तमान में जनरल कैटेगरी में रखा गया है, ओबीसी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आरक्षण के कारण पिछड़े वर्ग सशक्त हुए हैं और जातिवादी वर्चस्व में गिरावट दर्ज की गई है. आरक्षण विरोधी ताकतों में पिछड़े वर्ग के लोगों को नीचा दिखाने के उद्देश्य से उन्हें शुद्र बताने की प्रवृत्ति देखी गई है. यही प्रवृत्ति हिंदू विरोधियों में भी देखी गई है जो दलित और ओबीसी समुदाय को शूद्र बताते हैं ताकि उन्हें हिंदू धर्म से विमुख किया जा सके. यहां यह बता देना जरूरी है आरक्षण और वर्ण व्यवस्था दोनों अलग अलग चीज है.आरक्षण सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन के आधार पर दिया जाता है. आरक्षण का आधार हिंदू धर्म में वर्णित वर्ण व्यवस्था नहीं है.

कुर्मी किस वर्ण के हैं?

आइए अब जानते हैं कि कुर्मी किस वर्ण के हैं? इस समुदाय के लोग खुद को भगवान श्री राम के पुत्र लव का वंशज मानते हैं. गुजरात में पटेल-पाटीदार समुदाय के लोग खुद को लव और कुश का वंशज मानते हैं. भगवान श्रीराम का जन्म सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल में हुआ था. इस मान्यता के आधार पर कुर्मी क्षत्रिय वर्ण के माने जाते हैं. बता दें कि कुर्मी वंश का गौरवशाली इतिहास रहा है. वर्तमान में इन्हें एक कृषक और योद्धा (क्षत्रिय) जाति के रूप में जाना जाता है. इस समुदाय के लोग दावा करते हैं कि आदिकाल में राज, राजा चोलम, मिहिरभोज, संभाजी महाराज, छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे कई क्षत्रिय राजा-महाराजा हुए हैं. इस जाति में कई ऐसे वीर क्रांतिकारी और राजनेता हुए हैं जिन्होंने अपने त्याग और पराक्रम के बल पर अपने समाज का नाम रोशन किया है तथा देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इनमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लौहपुरुष के नाम से विख्यात सरदार वल्लभभाई पटेल इसी समुदाय से थे. स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले ज्ञात-अज्ञात कुर्मी समाज के कई वंशज थे.


References;
https://www.jagran.com/bihar/vaishali-history-was-proudful-of-kshatriya-19913875.html

Leave a Reply