Ranjeet Bhartiya 26/10/2022
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Last Updated on 10/04/2023 by Sarvan Kumar

भारत में गोत्र का इतिहास अत्यंत ही प्राचीन है.  गोत्र मूल रूप से सीधे सप्तर्षियों (7 मूल पुरुषों) से संबंधित हैं, इसीलिए गोत्र सर्वप्रथम सप्तर्षियों के नाम से प्रचलन में आए. कालांतर में दूसरे ऋषियों के नाम से भी गोत्र प्रचलित हुए और गोत्रों की संख्या बढ़ती चली गई. वर्तमान में गोत्रों की संख्या हजारों में है. आइए इसी क्रम में जानते हैं चमार जाति के गोत्र के बारे में.

चमार जाति के गोत्र

गोत्र प्रणाली के माध्यम से आपके वंश का पता लगाया जाता है. यह मूल पिता और मूल परिवार को दर्शाता है जिससे आप संबंधित हैं. हिंदू धर्म के अनुसार, समाज को चार वर्णों में बांटा गया है – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र. भारत में लगभग हजारों जातियाँ पाई जाती हैं. गोत्र सभी वर्णों और जातियों में समान रूप से पाए जाते हैं. जब मुस्लिम आक्रान्ता भारत की ओर बढ़े तब वे धन लूटनें और धर्म के प्रचार के स्पष्ट और घोषित एजेंडे के साथ ही आये थे. चर्मकार जाति में जन्मे संत रविदास जी एक महान संत थे. रविदास जी के काल में तत्कालीन आततायी विदेशी मुस्लिम शासक सिकंदर लोदी का आतंक था जिसने हिंदुस्तानी जनता को सताना-कुचलना और डराकर धर्म परिवर्तन कराना प्रारम्भ कर दिया था. मुस्लिम आततायी शासक सिकंदर लोदी ने सदन नाम के एक कसाई को संत रैदास के पास मुस्लिम धर्म अपनानें का सन्देश लेकर भेजा. लेकिन उन्होंने इस्लाम स्वीकार करने से इंकार कर दिया. स्वामी कृष्णानंदजी महाराज ने अपनी किताब “कहै कबीर कुछ बुद्धम उद्दम कीजै” में उल्लेख किया है कि- “चमारों के गोत्र देखने से पता लगता है कि हमारा समाज अनेक जातियों का समूह है जिसमें अनेक क्षत्रिय और उच्च वंश ब्राह्मण सम्मिलित हैं और चमार होने का दंड संभवत उन्हें इस्लाम ना स्वीकार करने के कारण मिला.” चमार जाति समूह कई घटक जातियों का समामेलन है, और इस छत्र जाति (Umbrella Caste) में सैकड़ों जातियाँ शामिल हैं. इसलिए गोत्रों की संख्या भी बहुत अधिक है. आइए जानते हैं चमार (जाटव) में पाए जाने वाले मुख्य गोत्रों के बारे में-

•विजय सोनकर शास्त्री ने अपनी किताब “हिंदू चर्मकार जाति-एक स्वर्णिम गौरवशाली राजवंशीय इतिहास”  में उल्लेख किया है कि-

“वर्तमान में हिंदू चमार जाति में अनेक गोत्र पाए जाते हैं. इनमें से कुछ गोत्र ऐसे हैं जो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्णों में भी पाए जाते हैं. इससे पता चलता है कि हिंदू चमार न तो पूर्वकाल में, न मध्यकाल में और न ही वर्तमान में किसी भी जाति से अलग हैं. गोत्र के आधार पर वह किसी भी जाति के संदर्भ में सगोत्र हैं. गोत्र पिप्पल, नीम, कदंब, कदम, केम, केन, वड, सूर्यवंशी, चंद्रवंशी, नाग आदि गोत्र जो चमार जाति में प्राप्त हैं, यह सभी गोत्र प्राचीन क्षत्रियवंशीय गोत्र हैं. ये गोत्र प्राचीन काल में थे तो इसका आशय यह भी नहीं कि चमार जाति इन गोत्रों के आधार पर प्राचीन जाति है. सत्य यह है कि उक्त गोत्रों के लोग मध्ययुग में विदेशी आक्रांता शासकों द्वारा बलपूर्वक चर्म-कर्म में लगाकर चमार बनाए गए थे तब भी वे अपने उपरोक्त गोत्रों के आधार पर अपनी उपजातियों के साथ पहचान बनाकर अस्तित्व में थे इसलिए वर्तमान हिंदू चमार जाति उपरोक्त गोत्रों में पाई जानेवालो जाति मानी जाती है.

•विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर हम यहां चमार (जाटव) समुदाय में पाए जाने वाले मुख्य गोत्रों की सूची दे रहे हैं-

आकोदिया

आलोरिया

अटावदिया

बिल्लोरिया

बेतवाल

भरकणिया

बराकला

बाजर

बामणिया

बागड़ी

बरगण्डा

बंजारा

बरतुनिया

बड़गोतिया

बुआ

बड़ोदिया

बेतेड़ा

बेंडवाल

भियाणिया

भकण्ड

 

चरावंडिया

चन्दवाड़ा, चन्दवाड़े

 

डरबोलिया, डबरोलिया

डोरिया

डबकवाल

दिवाणिया

दसलाखिया

दिहाजो

धादु

धामणिया

धरावणिया

 

गांगीया, गंगवाल

गमडालू, गमलाडू

गोठवाल

गोगड़िया

गढ़वाल

गोहरा

 

हनोतिया

 

जुनवाल

जौनवाल

जिनिवाल

जाजोरिया

जारवाल, जारेवाल, जालोनिया

जाटवा

जोकचन्द

झांटल

झांवर

 

कोयला

खोदा

करेला

काटिया

कावा

केरर

कांकरवाल

खोलवार, खोरवार

कुंवार, कुंवाल

कुन्हारा, कुन्हारे

खापरिया

 

लोदवार, लोदवाल

लोड़ेतिया, ललावत

 

पचवारिया

परारिया

पुंवारिया

पंवार

पाटिदया

पड़ियार

 

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तिहाणिया

टुकड़ीया

तीहरा

 

माली, मालवीय

मरमट

मिमरोट

मेहर, मेहरा, मेर

मडावरिया

 

नोनिवाल

नगवाड़ा, नागौर, नगवाड़े

 

रमण्डवार

रेसवाल

राताजिया

राईकवार

रांगोठा

राजोदिया

रानीवाल

राठौर

 

साम्भरिया

सिसोदिया

सरगंडा

शक्करवार, शक्करवाल

 

उजवाल, उज्जवाल, उणजवाल

वाणवार, बानवाल, बासणवार

याधव

नोट- यह सूची संपूर्ण नहीं है. यदि आपके पास चमार के गोत्र के बारे में उपरोक्त सूची में उल्लेख नहीं है, तो कृपया हमें सूचित करें ताकि हम इस सूची को अपडेट कर सकें.


References:

KAHAI KABIR KUCHH UDYAM KEEJAI

By Swami Krishnanandji Maharaj · 2021

•हिंदू चर्मकार जाति

एक स्वर्णिम गौरवशाली राजवंशीय इतिहास

By विजय सोनकर शास्त्री · 2014

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