Ranjeet Bhartiya 15/09/2022
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Last Updated on 15/09/2022 by Sarvan Kumar

भारत में पारंपरिक हिंदू समुदाय में गोत्र, वर्ण, जाति और उपनाम आदि की अवधारणा का विशेष महत्व रहा है. “गुप्ता” भारत में सबसे आम और सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले उपनामों में से एक है. इस लेख में हम निम्नलिखित बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे-

•गुप्ता उपनाम वाले कौन होते हैं?

गुप्ता किस समुदाय या बिरादरी के अंतर्गत आते हैं?

•गुप्ता गोत्र सूची के बारे में विस्तार से जानेंगे.

गुप्ता गोत्र लिस्ट इन हिंदी

मुख्य विषय पर आने से पहले गोत्र के बारे में संक्षिप्त रूप से जान लेते हैं. भारत में गोत्र की परंपरा का इतिहास अत्यंत ही प्राचीन है. गोत्र पद्धति के माध्यम से वंश का पता चलता है. यानी कि इससे यह पता चलता है कि आप किस मूलपिता या मूल परिवार से संबंध रखते हैं. हिंदू मान्यताओं के अनुसार पिता का गोत्र ही पुत्र को मिलता है. हिंदू संस्कृति में, गोत्र शब्द को आमतौर पर कबीले या कुल के बराबर माना जाता है. गोत्र मोटे तौर पर उन लोगों को संदर्भित करता है जो एक सामान्य पुरुष पूर्वज या पितृवंशीय से एक अखंड पुरुष रेखा में वंशज हैं. हम किसी भी जाति या वर्ण के हों, लेकिन मूल रूप से एक प्राचीन पिता के वंश से संबंध रखते हैं. यही वजह है कि सभी गोत्र सभी जातियों और वर्णों में हैं. गोत्र पहले आया फिर गुण-कर्म-योग्यता के अनुसार वर्ण व्यवस्था तय हुई- ब्राहण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र. बाद में जन्म के आधार पर जाति स्थिर हो गयी. गोत्र का नाम उपनाम के रूप में उपयोग किया जा सकता है, लेकिन यह उपनाम से अलग है. आइए अब मूल विषय पर आते हैं और जानते हैं कि गुप्ता उपनाम वाले कौन हैं और वे किस समुदाय या बिरादरी के अंतर्गत आते हैं. भारत में गुप्ता उपनाम का प्रयोग कई समुदायों या जातियों के लोगों द्वारा किया जाता है, जिनमें प्रमुख हैं- बैद्य, कायस्थ और बनिया. इस आर्टिकल में हम गुप्ता बनिया की बात करेंगे. भारत की अर्थव्यवस्था में बनिया समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. ऐतिहासिक रूप से, जिनकी रुचि लेन-देन, व्यापार, अर्थव्यवस्था, बेचने-खरीदने आदि में थी, उनको वैश्य की उपाधि दी गई. इस तरह से वैश्य वर्ण चतुर्वर्ण वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत तीसरे वर्ण के रूप में अस्तित्व में आया. कालांतर में वैश्य समुदाय में अनेक उपजातियां विकसित हो गईं. वर्तमान में इस समुदाय में 350 से भी ज्यादा घटक हैं, जो विभिन्न प्रकार के उपनाम का प्रयोग करते हैं. जहां तक गुप्ता उपनाम के प्रयोग का प्रश्न है यह उपनाम बनिया समुदाय के कई उपजातियों द्वारा प्रयोग किया जाता है. एक जाति/उपजाति के अंदर कई तरह के गोत्र पाए जाते हैं. अब हम बनिया समुदाय के उन गोत्रों के बारे में जानेंगे जो गुप्ता उपनाम का प्रयोग करते हैं. गुप्ता गोत्र लिस्ट-

अग्रवाल वैश्य समुदाय 18 गोत्रों में विभाजित है-

ऐरण, कंसल, बंसल, गर्ग, गोयन, गोयल, सिंहल, मित्तल, जिंदल, बिंदल, नागल, कुच्छल, भंदल, धारण, तायल, तिंगल, मधुकुल और मंगल. अग्रवाल समुदाय के लोग अग्रवाल और अपने गोत्र के नाम उपनाम के रूप में का प्रयोग करते हैं. लेकिन इनमें से कई गुप्ता उपनाम भी लगाते हैं.

•इसी प्रकार से, खंडेलवाल वैश्य समुदाय में भी 72 गोत्र पाए जाते हैं. खंडेलवाल समाज के लोग अपने उपनाम के रूप में अपने गोत्र, खंडेलवाल या गुप्ता का प्रयोग करते हैं.

•इतना ही नहीं, बनिया समुदाय की कई उपजातियों

(विजयवर्गीय, महावर, ओसवाल, जयसवाल, रौनियार आदि) द्वारा भी उपनाम के रूप में गुप्ता शब्द का प्रयोग किया जाता है. इन सब उप जातियों में कई गोत्र पाए जाते हैं.

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