
Last Updated on 16/09/2022 by Sarvan Kumar
भारत में उपनाम अभी भी जानकारी प्रदान करने के मामले में काफी उपयोगी है. हम अक्सर किसी व्यक्ति की जाति और मूल उसके उपनाम से बता सकते हैं और भारत के कुछ हिस्सों में हम उस भौगोलिक क्षेत्र की पहचान भी कर सकते हैं जहां से वह आता है. गुप्ता भारत में इस्तेमाल होने वाले सबसे आम उपनामों में से एक है. आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में गुप्ता जाति कैटेगरी के बारे में-
उत्तर प्रदेश में गुप्ता जाति कैटेगरी
भारत में, गुप्ता उपनाम मुख्य रूप से वैश्य बनिया समुदायों द्वारा उपयोग किया जाता है. वैश्य बनिया एक विशाल समुदाय है जो कई घटकों/उपजातियों में विभाजित है. इस समुदाय की विभिन्न उपजातियां अलग-अलग उपनामों का प्रयोग करती हैं, जैसे कि अग्रवाल, गुप्ता, वर्णवाल, खंडेलवाल, ओसवाल, शाह, साहू, आदि. जहां तक गुप्ता उपनाम का प्रश्न है, यह उपनाम वैश्य समुदाय की कई उप जातियों द्वारा लगाया जाता है, जिसमें प्रमुख हैं- रौनियार, अग्रवाल, माहूर, तेलिक (तेली), बरनवाल, कानू, खंडेलवाल, जायसवाल, आर्य वैश्य, महाजन, महावर, माहेश्वरी, पटवा, कसौधन, लश्करी और माथुर, आदि. भारत की सकारात्मक भेदभाव की व्यवस्था आरक्षण के अंतर्गत आरक्षण मुख्य रूप से सभी 4 समूहों को दिया जाता है: अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS). आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में गुप्ता उपनाम वाले वैश्य समूह किस कैटेगरी में आते हैं-
•वैश्य समुदाय की तेली, तेली साहू, तेली राठौर, पटवा, ऊनाई साहू, आदि उप जातियों को उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
•”दैनिक जागरण” में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्य समाज के उपवर्ग कलाल, कलार, कलवार, शिवहरे, गुलहरे, पोरवाल, जायसवाल को प्रदेश सरकार ने वर्ष 2000 में पिछड़ी जाति का दर्जा दिया था. बता दें कि वैश्य समाज के उपवर्ग गुप्ता (शिवहरे, गुलहरे, पोरवाल, जायसवाल) लिखते हैं, इनको कलाल, कलार, कलवार के अंतर्गत शामिल किया गया है. साल 2000 से इसी आधार पर वैश्य समाज के उक्त उपवर्गो को पिछड़ी जाति का मानकर पूरे प्रदेश में पिछड़ी जाति के जाति प्रमाणपत्र जारी किये जा रहे हैं.
•प्रतिष्ठित अखबार “अमर उजाला” के एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्य समुदाय द्वारा लंबे समय से बनिया समाज की कई पिछड़ी उपजातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करके आरक्षण देने की मांग की जा रही है. इसमें वैश्य समुदाय की अग्रहरि, अयोध्यावासी, ओमर, कमलापुरी, केसरवानी, गुलहरे, दोसर, पुरवार, माहौर, बरनवाल, सनमानीय, शिवहरे, सूरसेन, हरिद्वारवासी आदि उपजातियों शामिल हैं.
•संसद द्वारा ओबीसी विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद, उत्तर प्रदेश में 39 जातियों को ओबीसी का दर्जा मिलने की उम्मीद है जिसमें कई वैश्य जातियां शामिल हैं, जैसे कि अग्रहरी, अयोध्यावासी वैश्य, बरनवाल, कमलापुरी वैश्य, उमर बनिया, महौर वैश्य, केसरवानी वैश्य, दोसर वैश्य, आदि
•संसद में सवर्ण गरीबों के लिए 10 परसेंट आरक्षण की व्यवस्था करने वाला 124वां संविधान संशोधन विधेयक पास हो जाने के बाद गरीब सवर्णों के लिए भी सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी का रास्ता साफ हो हो गया है. इसके बाद बाद वैश्य समुदाय की कई उपजातियां आरक्षण का लाभ उठा पायेंगे. इसके अंतर्गत वैश्य बनिया समाज की निम्न उपजातियों को आरक्षण का लाभ मिल सकता है- बर्णवाल, गहोई, रस्तोगी, वार्ष्णेय, केशरी, जायसवाल, अग्रवाल, बनिया, गुप्ता, खण्डेवाल, लोहाना, माहेश्वरी, रस्तोगी, शाह,, वशिष्ट, मारवाड़ी, ओसवाल, आदि.
References;
•https://m.jagran.com/lite/uttar-pradesh/etawah-8502528.html
•https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/kaushambi/Kaushambi-33362-9
•https://www.timesnowhindi.com/india/article/up-government-set-to-give-the-status-of-obc-to-39-castes/358210
•https://hindi.news18.com/news/knowledge/these-castes-will-be-benefitted-by-the-upper-caste-reservation-in-separate-religions-1648036.html


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