Ranjeet Bhartiya 15/01/2022
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Last Updated on 15/01/2022 by Sarvan Kumar

मिरासी  (Mirasi) भारत और पाकिस्तान में पाई जाने वाली एक जाति है. इस समुदाय के लोग पारंपरिक गायक और नर्तक हैं और इनकी आजीविका संगीत, नृत्य एवं गाने बजाने से चलती है. पखवाज (Pakhwaj) नामक वाद्य यंत्र बजाने के कारण, इन्हें उत्तर भारत में पखवाजी (Pakhwaji) के नाम से जाना जाता है. जमीदारी प्रथा और राजे रजवाड़ों की समाप्ति के बाद, इन्हें जीवन यापन के लिए अपने परंपरागत व्यवसाय को छोड़कर अन्य व्यवसाय को अपनाना पड़ा. इनमें से कुछ खेती करने लगे. भूमिहीन मिरासी मजदूरी करने लगे. इस समुदाय के कई लोग अब छोटे-मोटे व्यवसायों में लगे हैं, जैसे सब्जियां बेचना और छतरियों की मरम्मत करना. आइए जानते है मिरासी समाज का इतिहास, मिरासी  की उत्पति  कैसे हुई?

मिरासी समाज एक परिचय

भारत में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब में पाए जाते हैं. उत्तर प्रदेश में, यह मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं. यहां यह मुख्य रूप से मेरठ, मुजफ्फरनगर और बुलंदशहर जिलों में निवास करते हैं. बिहार में, यह मुख्य रूप से भागलपुर, भोजपुर, गया, मुंगेर, नालंदा और पटना जिलों में पाए जाते हैं. दिल्ली में, इस समुदाय के लोग सीलमपुर, शाहदरा, बवाना और नरेला के इलाकों में पाए जाते हैं. राजस्थान में, यह मुख्य रूप से बीकानेर, जयपुर जोधपुर, नागौर, चित्तौड़गढ़, अजमेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चुरू, सीकर, बाड़मेर, भीलवाड़ा जैसलमेर और झुंझनू जिलों में पाए जाते हैं. हरियाणा में, यह मुख्य रूप से मेवात, रोहतक, फरीदाबाद, हिसार, करनाल, कुरुक्षेत्र, सोनीपत और महेंद्रगढ़ जिलों में निवास करते हैं.भारतीय पंजाब में मिरासी मुस्लिम, हिंदू और सिख हैं. मुस्लिम मिरासी शिया या सुन्नी हो सकते हैं. यह समुदाय अनेक उप समूहों में विभाजित हैं, जिनमें प्रमुख हैं- लखनऊ के नक्कल, बिहार के पमारिया तथा पंजाब के राय मिरासी, मीर मिरासी और कुमाची मिरासी.

मिरासी की उत्पत्ति कैसे हुई?

“मिरासी” शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द “मिरास” से हुई है, जिसका अर्थ होता है- “विरासत”. इनकी उत्पत्ति के बारे में अनेक मान्यताएं हैं, जिसके बारे में नीचे बताया जा रहा है.

1. उत्तर प्रदेश में निवास करने वाले इस समुदाय के लोगों के मान्यता के अनुसार, ऐतिहासिक रूप से मिरासी रेबारी समुदाय (Rebari community) के वंशज थे, जिनके साथ वे राजस्थान से आए थे.

2. राय मिरासी (Rai Mirasi) राय भट्ट जाति से धर्मांतरित होने का दावा करते हैं. यह ब्राह्मण होने का दावा करते हैं.

3. कुमाची मिरासी भी ब्राह्मण होने का दावा करते हैं. इनकी परंपराओं के अनुसार, यह मूल रूप से ब्राह्मण थे जिन्होंने इस शर्त पर इस्लाम धर्म अपना लिया कि यह ब्राह्मण की वंशावली में बने रहेंगे.

4. मध्ययुगीन काल में, उत्तरी भारत के इतिहास, कहानियों, वंशावली, कविता और संगीत के रखवाले को मिरासी के रूप में जाना जाता था. इनमें से कई दिल्ली के दरबार के 12वीं सदी के विद्वान/रहस्यवादी/कवि/संगीतकार हजरत अमीर खुसरो के छात्र और सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया के शिष्य बन गए. विरासत के इतिहासकारों के रूप में, उन्हें नसब ख्वान (Nasab Khwan) की मानद उपाधि दी गई जो बाद में सिर्फ ख्वान साहब (Khwan Sahab) बन गई.

5. बिहार के मिरासी, 16वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश से यहां आने का दावा करते हैं. इनके पूर्वज बिहार के जमींदारों के दरबार में संगीतकार के रूप में कार्यरत थे. दिल्ली में निवास करने वाले मिरासी मुगल दरबार में गायक और संगीतकार के रूप में अपनी सेवाएं देते थे. इनमें से कई सूफी दरगाहों, जैसे हजरत निजामुद्दीन, पर कव्वाल थे.

References:

1. Dawn News https://www.dawn.com/news/1043521

2. Wikipedia:

https://en.m.wikipedia.org/wiki/Mirasi

3. Joshua project

https://joshuaproject.net/people_groups/17562/IN

4. Hmoob

https://www.hmoob.in/wiki/Mirasi

Feature image Source: Wikimedia Commons 

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