
Last Updated on 09/11/2022 by Sarvan Kumar
भारतीय समाज की संरचना जटिल और अत्यंत विविध है. भारत में सामाजिक संरचना की सबसे प्रमुख विशेषताओं में से एक जाति रही है. भारत में हजारों जातियां निवास करती हैं. जाति के भीतर भी उपजाति, कुल और गोत्र के रूप में कई प्रकार के विभाजन हैं. आइए इसी क्रम में जानते हैं जाटव गोत्र लिस्ट के बारे में.
जाटव गोत्र लिस्ट
जातियों को एक सामाजिक पदानुक्रम में वंशानुगत, अंतर्विवाही और श्रेणीबद्ध व्यावसायिक समूहों के रूप में परिभाषित किया जाता है. जबकि कुलों को भारतीय संदर्भ में बहिर्विवाही वंशीय वंश समूहों के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमें जातियों के सदस्य संगठित होते हैं. हिन्दू समाज में गोत्र शब्द का अर्थ कुल होता है. वैदिक सिद्धांतों के अनुसार, सबसे पहले गोत्र सप्तर्षियों के नाम से प्रचलन में आए- (1) अत्रि, (2) भारद्वाज, (3) गौतम महर्षि, (4) जमदग्नि, (5) कश्यप, (6) वशिष्ठ और (7) विश्वामित्र. जैसे-जैसे जातियों की संख्या में विस्तार होगा, नए गोत्र सामने आते गए. रॉबर्ट वेन रसेल के अनुसार, हिंदू धर्म के कई गोत्र कुलदेवता हैं जिनका नाम पौधों, जानवरों और प्राकृतिक वस्तुओं के नाम पर रखा गया है. अनुसूचित जातियों की बात करें तो जाटव को काफी प्रगतिशील माना जाता है. जाटव चमार समुदाय की एक उपजाति है जो क्षत्रिय वंश से संबंधित होने का दावा करती है. यह मुख्य रूप से उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश (यूपी), राजस्थान, मध्य प्रदेश (एमपी), जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली राज्यों में पाई जाते हैं. हिंदी, पंजाबी, राजस्थानी और ब्रज भाषा जाटव समुदाय के लोगों द्वारा व्यापक रूप से बोली जाने वाली कुछ भाषाएँ हैं. चमार जाति समूह में उप-जातियां बड़ी संख्या में हैं, इसलिए गोत्रों की संख्या भी बहुत अधिक है. चूँकि हमने चमार जाति गोत्र के बारे में एक दूसरे ब्लॉग में विस्तार से चर्चा कर चुके हैं इसीलिए यहां हम मुख्य रूप से उन गोत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जो विशेष रूप से जाटव पाए जाते हैं.जाटवों के गोत्र के सम्बन्ध में विभिन्न पुस्तकों और अन्य स्रोतों में निम्नलिखित बातों का उल्लेख मिलता है-
• जाटव को अगरिया या अग्रिया (Agaria or Agria) के नाम से भी जाना जाता है. जाटवों में गोत्र स्तर पर सामाजिक विभाजन होते हैं. इनके कई गोत्र पेड़-पौधों, पक्षियों और प्राकृतिक वस्तुओं के नाम पर हैं जैसे कि सागर, नीम, पीपल इत्यादि.
•इनके कई गोत्र साधु-संतों ऋषि मुनियों के नाम पर हैं जिन्हें यह अपना पूर्वज मानते हैं.
•इनमें पाए जाने वाले अन्य गोत्र हैं- प्रभाकरिया (Prabhakaria) खरदोम (Khardom), खेन (Khen), खेम (Khem), और पेप्रिये, (Pepriye),केन, खरदम, सोगरिया, बरगोती, डाबर, सूर, पूनियां, सिरोहा, साध, गंगस, ढाका, मौर्य, कटारिया, बिम्भैटिया, चांदन, आदि.
References:
•People of India: Delhi
By K. S. Singh · 1996
•Supreme Court and Full Bench Election Cases
Volume 6
By India. Supreme Court, T. S. Doabia · 1989
•People of India: India’s communities
By Kumar Suresh Singh · 1998
•Communities, Segments, Synonyms, Surnames and Titles
By K. S. Singh · 1996
•Jāṭom kā svarnima itihāsa
By Śivadāna Siṃha · 1992
•Merī patnī aura bheṛiyā
By Dharmavīra · 2009

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