
Last Updated on 15/11/2022 by Sarvan Kumar
भूमिहार (Bhumihar) उत्तर और पूर्वी भारत की एक हिंदू जाति है. इन्हें ब्राह्मण भूमिहार और बाभन (Babhan) के नाम से भी जाना जाता है. जमींदारों का एक बड़ा हिस्सा इसी जाति से आता था. इस जाति के लोग बड़ी-बड़ी रियासतों के मालिक रहे हैं. यह एक उच्च शिक्षित समुदाय है. इस समुदाय के लोग तीक्ष्ण बुद्धि और दिलेरी के लिए जाने जाते हैं. इनकी संख्या कम है लेकिन लगभग सभी क्षेत्रों में इनका वर्चस्व रहा है. इनकी गिनती भारत के सबसे शक्तिशाली जातियों में की जाती है. आइए जानते हैं भारत में भूमिहार जाति की जनसंख्या के बारे में.
भारत में भूमिहार जाति की जनसंख्या
भूमिहार मुख्य रूप से बिहार में पाए जाते हैं. बिहार के लगभग सभी जिलों में इनकी उपस्थिति है. इसके अलावा यह उत्तर प्रदेश, झारखंड और मध्य प्रदेश में भी इनकी आबादी है. उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से पूर्वांचल क्षेत्र में पाये जाते है. वहीं, मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में इनकी आबादी है. भारत के अलावा इस समुदाय के लोग नेपाल में भी पाए जाते हैं.
भारत में भूमिहार जाति की जनसंख्या
हालांकि भूमिहारों की संख्या ब्राह्मणों और राजपूतों की तुलना में तुलनात्मक रूप से कम है, लेकिन इसके विपरीत, अधिकांश भूमिहार बहुत समृद्ध हैं और उनके पास बड़ी कृषि योग्य भूमि है. भूमिहारों की ख्याति एक दबंग जमींदार जाति के रूप में रही है. अपनी बुद्धिमानी, निडरता और सैनिक प्रवृत्ति के कारण यह सत्ता के करीब रहे हैं. इस समुदाय के लोगों ने मुगल काल के दौरान सैन्य सेवा के माध्यम से अपनी अधिकांश संपत्ति अर्जित की. बाद में इन्होंने जमींदार के रूप में कार्य किया. इनमें से जो कुलीन थे वे मुस्लिम शासकों के लिए कर संग्रहकर्ता के रूप में काम करते थे. बाद में ब्रिटिश काल के दौरान, भूमिहारों ने ब्रिटिश सेना में सेवा की. साथ ही, इनमें से कई स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी हुए जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी और स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया. ब्रिटिश काल से ही इस समुदाय की गणना भारत के सर्वाधिक साक्षर समूहों में की जाती रही है। डॉ. कृष्णा सिन्हा, सर गणेश दत्त, चंद्रशेखर सिंह, राम दयालू सिंह, श्याम नंदन मिश्रा, लंगट सिंह, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, राहुल सांकृत्यायन, रामबृक्ष बेनीपुरी और गोपाल सिंह ‘नेपाली’ इसी जाति से आते हैं. भूमिहार आज भी समाज में उच्च स्थान रखते हैं. इस समुदाय के लोग बड़े पैमाने पर खेती करते हैं. इनमें से कई डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, सैन्य अधिकारी, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी (आईएएस) और वैज्ञानिक के रूप में काम कर रहे हैं और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. भूमिहार राजनीतिक रूप से भी काफी प्रभावशाली हैं. आइए अब मुख्य विषय पढ़ाते हुए जानते हैं कि भारत में भूमिहार जाति की जनसंख्या कितनी है. यहां उल्लेख करना जरूरी है अंतिम भारतीय जनगणना के आंकड़े 1931 में जारी किए गए थे, इसीलिए सटीकता से जातियों की जनसंख्या बताना अत्यंत ही मुश्किल है. भूमिहार मुख्य रूप से बिहार में रहते हैं और राज्य में उनकी आबादी 5 से 12% बताई जाती है. लेकिन ज्यादातर जानकारों का मानना है कि बिहार में भूमिहार की आबादी 6% है. “आजतक” में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में भूमिहार की जनसंख्या कुल जनसंख्या का 1% है. झारखंड के कोडरमा, देवघर, पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर), रांची आदि जिलों में भूमिहार जाति का काफी प्रभाव है. झारखंड में स्वर्ण जातियों की आबादी लगभग 13% है जिसमें ब्राह्मण राजपूत, भूमिहार और कायस्थ जातियां शामिल हैं. झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश आदि राज्यों में भूमिहारों की संख्या कितनी है यह ठीक-ठाक बताना काफी मुश्किल है. यदि उपरोक्त तथ्यों का विश्लेषण करें तो भारत में भूमिहारों की जनसंख्या लगभग 1 से 1.5 करोड़ के बीच हो सकती है.
References:
•Anthropology of Ancient Hindu Kingdoms: A Study in Civilizational Perspective
By Makhan Jha
•Nation, Diaspora, Trans-nation: Reflections from India
By Ravindra K. Jain
•https://www.bhaskar.com/jharkhand/ranchi/news/a-collision-between-the-same-caste-candidates-on-six-seats-in-jharkhand-01516343.html
•https://www.aajtak.in/amp/india-today-plus/rajya/story/why-bhumihar-caste-is-important-in-up-politics-1263370-2021-05-29
••https://m.economictimes.com/these-days-their-poster-boys-are-goons/articleshow/562507.cms

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