
Last Updated on 06/03/2022 by Sarvan Kumar
सतीश प्रसाद सिंह (Satish Prasad Singh)
एक भारतीय राजनेता थे. वह 1968 में सिर्फ पांच दिनों के बहुत ही संक्षिप्त कार्यकाल के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बनाए जाने के लिए जाने जाते हैं. बिहार राज्य के सबसे कम दिन के लिए मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड उनके नाम है. साथ ही वह अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले बिहार के सबसे पहले मुख्यमंत्री थे. आइए जानते हैं सतीश प्रसाद सिंह की अद्भुत कहानी-
सतीश प्रसाद सिंह की जीवनी
सतीश प्रसाद सिंह का जन्म 1 जनवरी 1936 को खगड़िया जिले के गोगरी प्रखंड अन्तर्गत कोरचक्का गांव में एक समृद्ध कुशवाहा (कोइरी) जमींदार परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम विश्वनाथ सिंह था. अपने माता-पिता की 6 संतानों में सतीश प्रसाद सिंह सबसे छोटे थे. सतीश प्रसाद सिंह के पास 50 एकड़ से अधिक जमीन थी. इनकी पत्नी का नाम ज्ञान कला देवी था. इनके 8 संतान हुए, दो पुत्र और 6 पुत्रियां. “बिहार के नलिन” नाम से मशहूर जगदेव प्रसाद उनके समधी थे. इनकी बेटी सुचित्रा सिन्हा की शादी जगदेव प्रसाद के पुत्र नागमणि से हुई है. सुचित्रा सिन्हा बिहार सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रह चुकी हैं.
5 दिन के मुख्यमंत्री
सतीश प्रसाद सिंह पहली बार 1967 में खगड़िया जिले के परबट्टा विधानसभा से सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने. अपने पहले कार्यकाल के दौरान हीं, वर्ष 1968 में, वह बेहद नाटकीय अंदाज में मुख्यमंत्री बन गए. जब वह मुख्यमंत्री बने तो उनकी उम्र महज 32 साल थी. दरअसल, सतीश प्रसाद सिंह बी पी मंडल के लिए मुख्यमंत्री का रास्ता बनाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बनाए गए थे. महामाया प्रसाद सिन्हा सरकार के जाने से सोषित दल-कांग्रेस गठबंधन के लिए सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया. ना चाहते हुए भी, कांग्रेस बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल (BP Mandal) को वैकल्पिक सरकार के प्रमुख के रूप में स्वीकार करने के लिए सहमत हो गई. हालाँकि, बी पी मंडल के राज्य विधानमंडल के सदस्य नहीं होने के कारण एक संवैधानिक गतिरोध उत्पन्न हो गया. इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाना था. फिर ऐसे अंतरिम मुख्यमंत्री की तलाश शुरू हुई जो बी पी मंडल का विश्वासपात्र हो और उनके कहने पर अपना पद छोड़ दें. इस प्रकार, सतीश प्रसाद सिंह ने 28 जनवरी 1968 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने 29 जनवरी को उच्च सदन (विधान परिषद) के लिए बी पी मंडल को नामित किया. सिंह 28 जनवरी 1968 से 1 फरवरी 1968 तक, सबसे कम समय के लिए, बिहार के मुख्यमंत्री रहे. बाद में उन्होंने त्यागपत्र दे दिया और बी पी मंडल बिहार के अगले मुख्यमंत्री बने.
बिहार के पहले पिछड़ा वर्ग के मुख्यमंत्री
अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले बिहार के पहले मुख्यमंत्री
सतीश प्रसाद सिंह के पहले जो भी बिहार के मुख्यमंत्री बने, उनका संबंध उच्च जातियों से था. बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्णा सिन्हा भूमिहार जाति से आते थे. बिहार के दूसरे मुख्यमंत्री दीप नारायण सिंह राजपूत थे. बिहार के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में काम करने वाले बिनोदानंद झा ब्राह्मण थे. बिहार के चौथे और पांचमें मुख्यमंत्री के रूप में काम करने वाले कृष्ण बल्लभ सहाय और महामाया प्रसाद सिन्हा कायस्थ जाति से आते थे. जब सतीश प्रसाद सिंह मुख्यमंत्री बने तो बिहार में ऐसा पहली बार हुआ था कि कोई अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes) जाति का व्यक्ति मुख्यमंत्री के कुर्सी पर आसीन हुआ था.
मुख्यमंत्री बनने के बाद किया गया कार्य
भाई सतीश प्रसाद सिंह केवल 5 दिनों के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन इतने कम समय में भी उन्होंने अपनी कुशवाहा जाति और बिहार के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया, जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है. उनके इस फैसले से बिहार के किसानों की एक बड़ी समस्या दूर हुई. दरअसल, कुशवाहा जाति के अधिकांश किसान आलू की खेती करते थे. लेकिन बड़े पैमाने पर आलू के उत्पादन और पंजाब जैसे राज्यों में आलू की बढ़ी मांग के बावजूद बिहार से आलू की बिक्री के लिए भेजने की इजाजत नहीं थी. उन्होंने बिहार के किसानों को एक बड़ी सौगात देते हुए आलू को बिहार से बाहर भेजने की छूट पर मुहर लगा दी. उनका यह फैसला फिर कोई नहीं बदल पाया. उनके इस फैसले से बिहार के किसान आलू उत्पादन कर बाहर भेजने में सक्षम हुए, जिससे बिहार के किसानों को बड़ा लाभ हुआ.
सतीश प्रसाद सिंह का राजनितिक करियर
साल 1980 में वह खगड़िया से कांगेस के टिकट पर अपने पहले ही प्रयास में सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए. 2013 में वह कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए, लेकिन विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण में कुशवाहों को कम प्रतिनिधित्व देने के विरोध में उन्होंने पार्टी छोड़ दिया.
अंतर्जातीय विवाह प्रेम विवाह
सादगी और सरलता रही पहचान; रूढ़िवाद-जातिवाद के रहे सख्त विरोधी।
सतीश प्रसाद सिंह ने अपने व्यक्तिगत जीवन में भी कई उतार-चढ़ाव देखे. वह रूढ़िवाद, पारंपरिक मान्यताओं, सामाजिक कुरीतियों और जातिवाद के सख्त विरोधी थे.1950 के दशक में जब भारतीय समाज जातिवाद के बेड़ियों में जकड़ा हुआ था, तब उन्होंने 1954 में ज्ञान कला देवी से प्रेम विवाह कर लिया जो दूसरी जाति की थीं. उस समय बिहार के सुदूर इलाकों में अंतर्जातीय विवाह विरले ही होते थे. चूंकि ज्ञान कला देवी का परिवार उनके अंतर्जातीय विवाह का विरोध कर रहा था, इसलिए वह मुंगेर में अपने घर से भाग गई.इस अंतर्जातीय विवाह के कारण उन्हें अपने परिवार के कड़े विरोध, माता-पिता की अवहेलना और कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.हमेशा सत्य और इमानदारी का साथ देने वाले महान नेता
सतीश प्रसाद सिंह की छवि एक बेहद ईमानदार नेता की थी. उन्होंने अपने जीवन भर हमेशा सत्य का साथ दिया. सतीश प्रसाद सिंह की जीवनी लिखने वाले आरा के वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हिंद केसरी के अनुसार,
” सतीश प्रसाद सिंह एक महान और दुर्लभ नेता थे, इसलिए नहीं कि वह विधायक के रुप में अपने पहले कार्यकाल में मुख्यमंत्री बने, बल्कि इसलिए कि उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में हमेशा सच्चाई और ईमानदारी का पक्ष लिया. उन्होंने राजनीति में रहते हुए अपनी 52 बीघा पुश्तैनी जमीन बेच दिया”.
सतीश प्रसाद सिंह की मृत्यु कैसे हुई?
सतीश प्रसाद सिंह कोरोना से संक्रमित हो गए थे. इलाज के लिए उन्हें दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 27 अक्टूबर 2020 को उनकी पत्नी का निधन हो गया. पत्नी की मृत्यु की खबर मिलने के बाद वह कोमा में चले गए. पत्नी की मृत्यु के ठीक 5 दिन बाद, 2 नवंबर 2020 को COVID-19 की जटिलताओं से दिल्ली के एक निजी अस्पताल में इनकी मृत्यु हो गई.
“जोगी और जवानी” फिल्म का निर्देशन
सतीश प्रसाद सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे.विधायक बनने से पूर्व उन्होंने “जोगी और जवानी” नाम नाम से एक फिल्म का निर्माण और निर्देशन किया था. इस फिल्म में स्वयं मुख्य नायक (हीरो) की भूमिका निभाई थी.
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References;
Political Science Association, Delhi University (1981). Teaching Politics, Volume 6 – Volume 7, Issue 4. Delhi University Political Science Association(Original from the University of Michigan).
Ritu Chaturvedi (2007). Bihar Through the Ages. Sarup & Sons. pp. 280–. ISBN 978-81-7625-798-5. Retrieved 10 April 2018.
Bijender Kumar Sharma (1989). Political Instability in India. Mittal Publications. pp. 49–. ISBN 978-81-7099-184-7. Retrieved 10 April 2018
https://www.telegraphindia.com/bihar/one-week-cm-holds-real-nayak-flag/cid/1340070
https://www.freepressjournal.in/india/three-days-chief-minister-satish-prasad-singh-dies-of-covid-19

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