Ranjeet Bhartiya 21/11/2022

Last Updated on 21/11/2022 by Sarvan Kumar

भारतीय राजनीति में क्षेत्रवाद, जातीयता और जाति जैसे मुद्दे हमेशा महत्वपूर्ण रहें है. आजादी से लेकर अब तक के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि ज्यादातर राज्यों में ऊंची जातियों के लोग ही मुख्यमंत्री रहे हैं. आइए इसी क्रम में जानते हैं भूमिहार जाति के मुख्यमंत्री के बारे में.

भूमिहार जाति के मुख्यमंत्री

जाति और समुदाय का गणित चुनावी नतीजों को तय करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. भूमिहार मुख्य रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में राजनीति रूप से काफी प्रभावी हैं. उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां अब तक 21 मुख्यमंत्री हुए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा छह मुख्यमंत्री ब्राह्मण जाति से रहे हैं. राज्य में ब्राह्मणों के अलावा ठाकुर (राजपूत), बनिया, लोधी राजपूत, यादव और अनुसूचित जाति के भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं. यानी अब तक उत्तर प्रदेश में भूमिहार जाति का कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री नहीं बना है.
बिहार की बात करें तो अब तक राज्य में 22 मुख्यमंत्री हुए हैं. यहां कुर्मी, मुसहर, यादव, नाई, कायस्थ, ब्राह्मण, राजपूत और भूमिहार जाति के लोग मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं. बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिन्हा भूमिहार जाति के थे.

“बिहार केसरी” नाम से प्रसिद्ध श्रीकृष्ण सिन्हा अविभाजित बिहार के विकास में अपने अतुलनीय, अद्वितीय और अविस्मरणीय योगदान के लिए आधुनिक बिहार के निर्माता के रूप में जाने जाते हैं. वह 1946 से 1961 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. शासनकाल में बिहार में उद्योग, कृषि, शिक्षा, सिंचाई, स्वास्थ्य, कला और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हुए. श्रीकृष्ण सिन्हा ने राज्य में कई विकासात्मक परियोजनाओं की अगुवाई की. मुख्यमंत्री के रूप में श्री कृष्ण सिन्हा का लंबा कार्यकाल प्रमुख कृषि और सामाजिक सुधारों के साथ-साथ प्रमुख उद्योगों और नदी घाटी परियोजनाओं की स्थापना का गवाह बना.

श्रीकृष्ण सिन्हा एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे. ‘श्रीबाबू’ के नाम से प्रसिद्ध श्रीकृष्ण सिंह का जन्म 21 अक्टूबर, 1887 को बिहार के मुंगेर जिले के एक भूमिहार परिवार में हुआ था. एक राजनेता के रूप में उन्होंने हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन किया. उन्होंने हमेशा जात-पात का विरोध किया. उनके प्रयासों से देवघर बैजनाथ मंदिर में दलित जातियों का प्रवेश संभव हो सका. बिहार में जाति व्यवस्था के उन्मूलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. आज भी उन्हें सामाजिक न्याय के अग्रदूत के रूप में याद किया जाता है और लोग उनका नाम बड़े सम्मान से लेते हैं.


•Walter Hauser (February 1997). “Changing images of caste and politics”. Retrieved 8 April 2008.

•https://www.google.com/amp/s/www.jagran.com/lite/bihar/patna-city-shri-krishna-singh-was-the-architect-of-modern-bihar-16892479.html

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