यादव जाति के वर्ण के बारे में कई प्रकार की बातें कहीं जाती हैं. कई बार इन्हें “एक दूध बेचने वाली जाति” कह कर चिढ़ाया जाता है. कोई इन्हें क्षत्रिय कहता है तो कोई शूद्र. दूसरे जाति के लोगों की बात तो छोड़िए, खुद यादव समाज के लोग भी अपनी वर्ण स्थिति को लेकर दुविद्धा में रहते हैं. यादव किस वर्ण में आते है क्या इनकी पहचान केवल गाय पालने और दूध बेचने तक सीमित है? इनकी वास्तविक वर्ण स्थिति क्या है? आइए जानते हैं यादव किस वर्ण में आते हैं-
हिंदू सनातन धर्म में समाज को 4 वर्गों में विभाजित किया गया है, जिसे वर्ण कहा जाता है. मनुस्मृति और अन्य सनातन ग्रंथों में वर्णित वर्ण व्यवस्था के अनुसार, हिंदू समाज को 4 वर्णों में विभाजित किया गया है-
ब्राह्मण: विद्वान, पुजारी, शिक्षक
क्षत्रिय: सैनिक,योद्धा, प्रशासक, शासक
वैश्य: व्यापारी
शूद्र: सेवा प्रदाता, पशुपालक
कृषक और पशुपालक जाति होने, आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत ओबीसी वर्ग में शामिल किए जाने तथा केवल राजपूतों को ही क्षत्रिय मानने की गलत धारणा के कारण यादव समेत कई अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों की वर्ण स्थिति पर सवालिया निशान लगाए जाते हैं. कृषि और पशुपालन में ब्राह्मण, राजपूत और बनिया समेत लगभग हर जातियां शामिल है. इसीलिए केवल खेतीबारी और पशुपालन व्यवसाय से जुड़े होने के कारण आप किसी जाति को शूद्र वर्ण का नहीं कह सकते. भारत के संविधान के प्रावधान के अंतर्गत, यादवों को ओबीसी का दर्जा प्राप्त है.
>ओबीसी का दर्जा प्राप्त होने यादवों को कई बार शुद्र वर्ण का बता दिया जाता है. यह सब बातें मुख्य रूप से वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित हैं या फिर महान यादव समुदाय को नीचा दिखाने का एक तरीका मात्र है. भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ, जबकि वर्ण व्यवस्था हजारों सालों से चली आ रही है. कहने का आशय यह है कि आप सनातन धर्म के वर्ण व्यवस्था को संविधान के दायरे में नहीं बांध सकते. आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत किए गए वर्गीकरण को वर्ण व्यवस्था से नहीं जोड़ना चाहिए क्योंकि यह दोनों अलग-अलग बातें हैं. राजपूत तुलनात्मक रूप से एक नया शब्द है. राजपूत शब्द की सर्वप्रथम उत्पत्ति 6ठी शताब्दी ईस्वी में हुई थी. क्षत्रिय एक वर्ण है जबकि राजपूत केवल एक जाति है. राजपूत क्षत्रियों की श्रेणी में आते हैं. यानी कि केवल राजपूतों को ही क्षत्रिय बताना तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है. इसके बारे में हम विस्तार से अलग से चर्चा करेंगे.
अब अपने मूल विषय पर आते हैं और जानते हैं कि यादवों की वास्तविक वर्ण स्थिति के बारे में- यादवों को हिंदू धर्म के वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत क्षत्रिय वर्ण के तहत वर्गीकृत किया गया है? निम्नलिखित तथ्य सिद्ध करते हैं कि यादव क्षत्रिय वर्ण के हैं-
(1). यादव एक प्राचीन वैदिक क्षत्रिय जाति है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यादव चंद्रवंशी क्षत्रिय वंश के प्राचीन और महान राजा यदु के वंशज हैं. हिंदू धर्म ग्रंथों जैसे महाभारत, हरिवंश और पुराणों में यदु को राजा ययाति और उनकी रानी देवयानी के सबसे बड़े पुत्र के रूप में वर्णित किया गया है. यदु को भगवान कृष्ण का पूर्वज माना जाता है. इस प्रकार से, राजा यदु के वंशज होने के कारण यादव चंद्रवंशी क्षत्रिय हुए. वेद-पुराणों के जानकार और वाराणसी के कैलाश मठ के महामंडलेश्वर स्वामी आशुतोष आनंद गिरि जी महाराज स्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि- ” क्षत्रिय उन लोगों को कहा जाने लगा जो राज व्यवस्था में शामिल थे. यादवों में थोड़ा विभाजन हो गया और इनके कर्म अलग हो गए. यदुवंश का कुछ भाग गोपालन करने लगा और समाज सेवा और रक्षा वर्ग से हट गया. लेकिन इससे वर्ण नहीं बदल जाता. यादव क्षत्रिय वर्ण में आते हैं. यदुवंश की उत्पत्ति महाराज यदु से हुई है जो चंद्रवंशी क्षत्रिय थे”.
क्षेत्र के शासक थे.
(3). यादव एक शासक वर्ग है. प्राचीन और मध्यकालीन भारत में कई शाही राजवंशों ने यदु के वंशज होने का दावा किया है. मुस्लिम आक्रमणकारियों के आगमन से पहले, यादव समाज के लोग भारत और नेपाल में सत्ता में रहे. क्षत्रिय वर्ण के लोगों का काम देश का शासन और शत्रुओं से उसकी रक्षा करना है. एक शासक और योद्धा समुदाय होने के कारण यादव क्षत्रिय वर्ण के हैं.यादवों ने कई शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की. निम्नलिखित राज्यों के शासक अपने वंश का पता यदु से लगाते हैं-
•देवगिरि के यादव, गवली राजा या सेउना यादव-
इनका कभी पूरे महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश तथा कर्नाटक के हिस्सों पर शासन था.
•सुरसेन साम्राज्य
•विदर्भ साम्राज्य
•द्वारका साम्राज्य
•कुंती साम्राज्य
•चेदि साम्राज्य
•सौराष्ट्र साम्राज्य
•विजय नगर साम्राज्य
•मैसूर साम्राज्य
•अनारता साम्राज्य
•अवंती
यादव रियासत के बारे में और पढें
(4). यादव एक योद्धा समुदाय है. यदुवंशी क्षत्रिय मूलतः अहीर थे. इस समुदाय में भगवान श्री कृष्ण, बलराम और सात्यकि जैसे योद्धा हुए. सात्यकी नारायणी सेना का एक शक्तिशाली यादव सरदार थे. महाभारत के युद्ध में सात्यकि पांडवों की तरफ से लड़े थे.
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Last updated: 27/06/2023 10:24 am
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