Ranjeet Bhartiya 20/09/2022

Last Updated on 20/09/2022 by Sarvan Kumar

बनिया शब्द का प्रयोग व्यापक रूप से भारत के पारंपरिक व्यापारिक जातियों या बिजनेस समुदाय के सदस्यों लिए किया जाता है. इस प्रकार इस शब्द का प्रयोग व्यापारी, दुकानदार, साहूकार और बैंकर आदि के लिए किया जाता है. आइए जानते हैं बनिया कितने प्रकार के होते हैं?

बनिया कितने प्रकार के होते हैं

मनुष्य के गुण और कर्म के आधार पर निर्मित हिंदू धर्म के वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत बनिया समुदाय को वैश्य वर्ण के रूप में वर्गीकृत किया गया है. हालांकि बनिया जातियों के कुछ सदस्य किसान हैं, लेकिन किसी भी अन्य जाति की तुलना में, अधिक बनिया अपने पारंपरिक व्यवसाय का पालन करते हैं. बनिया समुदाय में अनेक व्यापारिक जातियां शामिल हैं. उत्तर भारत की बात करें तो यहां अग्रवाल और ओसवाल प्रमुख बनिया जातियां हैं. वहीं, दक्षिण भारत में चेट्टियार एक सफल कारोबारी समुदाय है, जो मुख्य रूप से तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में निवास करते हैं.आइए अब मूल विषय पर आते हैं और बनिया कितने प्रकार के होते हैं. यहां हम घटक जातियों, नियमों के पालन, धर्म तथा क्षेत्र के आधार पर बनिया के प्रकार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे.

(1). घटक जातियों के आधार पर

बनिया समुदाय कई उपसमूहों/उपजातियों/ उपवर्गों का एक समामेलन है. घटक जातियों के आधार पर बनिया के महत्वपूर्ण प्रकार इस प्रकार हैं-अग्रहरि, अग्रवाल, असाटी, ओसवाल, अवध बनिया, बजाज, वर्णवाल, भोजवाल, चेट्टियार, चूरीवाल, जायसवाल, दोसर वैश्य, गहोई, गणेरीवाला, घाटे बनिया, गुप्ता, हलवाई, झुनझुनवाला, कन्नड़ वैश्य, कासलीवाल, केसरवानी, कलाल, कलार, कलवार, कोमाटी, खंडेलवाल,‌ गुलहरे, पोरवाल, महावर, महेश्वरी, माहुरी, माथुर, मोढ, मारवाड़ी, उमर बनिया, रौनियार, रस्तोगी, सालवी, सुंगा, सुनवानी, शिवहरे, तेली, टिबरेवाल, उनाई साहू, लोहाना, वैश्य वानी, विजयवर्गीय, वार्ष्णेय, आदि.

(2). नियमों के पालन के आधार पर

एक अन्य वर्गीकरण के अनुसार, बनिया में छह उपसमूह हैं- बीसा या वैश्य अग्रवाल, दासा या गाटा अग्रवाल, सरलिया, सरावगी या जैन, माहेश्वरी या शैव और ओसवाल. बीसा का मानना ​​​​है कि वे बशाक नाग की 17 सर्प बेटियों के वंशज हैं, जिन्होंने उग्रसैन के 17 पुत्रों से विवाह किया था.

बता दें कि अग्रवाल वैश्य समुदाय का प्रमुख घटक है. जैन ग्रंथों में मिले विवरण के अनुसार, प्रारंभ में अग्रोहा से निकलने के कारण इनमें एकता थी. लेकिन कालांतर में स्थान, आचार, धर्म, सामाजिक रीति रिवाज आदि के पालन में इनमें भेद उत्पन्न होने लगे और इसी आधार पर कई उप वर्ग बनते गए. उदाहरण के तौर पर बीसा, दस्सा, पंजा, ढैया, इनके उपविभाजन हैं. यह उपविभाजन उन 20 नियमों के पालन के आधार पर बनाया गया है, जो कभी इनकी परंपरा में प्रचलन में थे. इन 20 नियमों का पूर्ण रुप से पालन करने वाले “बीसा” कहलाए. इनमें से जो उदारवादी या सुधारवादी थे, जो सामाजिक रूढ़ियों और परंपराओं का विरोध करते थे तथा इन 20 नियमों का पूर्ण रूप से पालन नहीं करते थे, “दस्सा” कहलाए. इसी प्रकार से दस्सों से कम नियम पालन करने वाले “पंजा” तथा और उनसे भी कम नियम का पालन करने वाले “ढैया” कहलाए.

(3). धर्म

धर्म के आधार पर बनिया मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं- हिंदू और जैन.

(4). क्षेत्र के आधार पर

बनिया समाज में क्षेत्र के आधार पर भी विभाजन देखने को मिलता है. प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र क्षेत्रवार विभाजन के आधार पर बनिया समुदाय के 4 शाखाओं को बताते हैं-मारवाड़ी, देशवाली, पूरिबए और पंछहिए. मारवाड़ी अपने आप को बीसे अग्रवाल मानते हैं. जो अग्रवाल अग्रोहा से निकलकर भारत के विभिन्न प्रांतों में जाकर बस गए, देशवाली कहलाए. पूर्वी क्षेत्रों में बसने वाले पूरिबए कहलाए. इसी प्रकार से, पश्चिमी भाग में बसने वाले “पंछहिए” कहलाए.


References;

•Baleshwar Agarwal Jeevan-Yatra

By Ramashankar Kushwaha

•The Other Lucknow

By Nadeem Hasnain

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