Ranjeet Bhartiya 19/04/2023

भारत का संविधान समाज के उत्पीड़ित वर्गों के लिए सकारात्मक भेदभाव की व्यवस्था को संचालित करने की अनुमति देता है. इस व्यवस्था को आरक्षण भी कहते हैं. सकारात्मक भेदभाव एक नीतिगत पहल है जिसका उद्देश्य वंचित समूहों को शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करके समाज की मुख्यधारा में शामिल करना है. आरक्षण व्यवस्था के […]

Ranjeet Bhartiya 17/04/2023

भारत में रहने वाली हजारों जातियों में ब्राह्मणों का अपना एक अलग स्थान है. ब्राह्मणों का अपना एक प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है. खासकर धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में इनका दबदबा रहा है. ब्राह्मण समुदाय ने भारत के सांस्कृतिक विकास में, संस्कृति की रक्षा में और आधुनिक भारत के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई […]

Ranjeet Bhartiya 16/04/2023

हिंदू धार्मिक शास्त्रों में वर्णित वर्ण व्यवस्था के अनुसार, समाज को चार समूहों में बांटा गया है- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र. वर्ण-व्यवस्था के तहत, प्रत्येक वर्ण के व्यवसाय और कार्य श्रम के विभाजन द्वारा निर्धारित किए गए हैं. ब्राह्मण पारंपरिक रूप से पुरोहिताई और शिक्षा से जुड़ा समुदाय है. वर्तमान में इसे वर्ण और […]

Ranjeet Bhartiya 15/04/2023

हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति को जीवित रखने में, भारत के आध्यात्मिक ज्ञान को संरक्षित करने में, स्वतंत्रता आंदोलन में और आजादी के बाद आधुनिक भारत के निर्माण में ब्राह्मणों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. ब्राह्मण मूल रूप से हिंदू वर्ण व्यवस्था के तहत एक वर्ण है. ब्राह्मणों में कई जातियां हैं जो पूरे भारत […]

Ranjeet Bhartiya 13/04/2023

राजा हर्षवर्धन (590-647 ई.) भारत के अंतिम महान और शक्तिशाली राजाओं में से एक थे. जब हर्ष का शासन अपने चरम पर था, तो उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भारत के अधिकांश भाग पर उनका शासन था. हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद भारतीय इतिहास के पटल पर अनेक छोटे-छोटे राज्यों का उदय हुआ. मध्यकाल में बंगाल की […]

Ranjeet Bhartiya 11/04/2023

मध्यकालीन भारत में मुस्लिम शासन के आने से पहले बंगाल की भूमि पर दो महत्वपूर्ण राजवंशों का उदय हुआ- पाल वंश और सेन वंश. पाल शासकों ने लगभग 4 शताब्दियों तक बंगाल पर शासन किया. सेन वंश के शासकों ने 160 वर्षों तक बंगाल पर शासन किया. इतिहासकार इन दोनों राजवंशों के शासन को राजनीतिक […]

Ranjeet Bhartiya 09/04/2023

भारत के इतिहास को दिशा देने में बंगाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. बंगाल क्षेत्र, वर्तमान में पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश, मौर्य और गुप्त सहित कई प्राचीन भारतीय साम्राज्यों का हिस्सा था. मध्यकालीन भारत में बंगाल में अनेक शक्तिशाली राजवंशों का उदय हुआ, जिनमें पाल वंश, सेन वंश और देव वंश प्रमुख थे. यहां हम […]

Sarvan Kumar 08/04/2023

“यादव” राजा यदु के वंशज, कि कई शाखाएं हैं. इन्हीं में से एक है वृष्णि या वृष्णि गोप नारायण, इसी कुल में आगे चल कर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ. कृष्ण के ही वंशज कृष्णौत Krishnaut कहलाये. कृष्णौत या कृष्णावत यादव जाति की उप शाखा है, यह मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, नेपाल और पूर्वी […]

Ranjeet Bhartiya 07/04/2023

प्राचीन भारत और आधुनिक भारत के बीच के काल को मध्यकालीन भारत कहा जाता है. इस काल में भारत कई छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था. इस अवधि में कई महत्वपूर्ण राजवंशों का उदय हुआ जैसे राष्ट्रकूट वंश, गुर्जर-परिहार वंश, पल्लव वंश, पाल वंश, चोल वंश और सेन वंश आदि. आइए इसी क्रम में जानते […]

Ranjeet Bhartiya 06/04/2023

भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी और समृद्ध संस्कृतियों में से एक है. भारतीय संस्कृति की विशेषता यह है कि जहाँ अन्य देशों की संस्कृतियां समय के साथ नष्ट होती रही है, वहीं भारत की संस्कृति अपने मूल रूप में अपना अस्तित्व बनाये रखने में सफल रही है. हजारों वर्षों के अपने लंबे इतिहास में, […]

Ranjeet Bhartiya 04/04/2023

भारत विविधताओं से भरा देश है. यहां विभिन्न समुदायों के लोग रहते हैं जो विभिन्न धर्मों का पालन करते हैं, विभिन्न भाषाएं बोलते हैं और उनकी जीवन शैली और रीति-रिवाजों में भी विविधता है. भारत में हजारों जातियां रहती हैं, इसलिए भारत को जातियों का देश भी कहा जाता है. आम तौर पर एक जाति […]

Ranjeet Bhartiya 03/04/2023

साहित्य की समाज के निर्माण में हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका रही है. साहित्य गद्य और पद्य की सभी विधाओं को संदर्भित करता है जिसमें कविता, शायरी, कहानी, उपन्यास, नाटक, आत्मकथा आदि शामिल हैं. साहित्य की उत्पत्ति समाज से ही होती है. कवि और लेखक समाज के पर्यवेक्षक और मार्गदर्शक की तरह होते हैं जो अपनी […]

Ranjeet Bhartiya 02/04/2023

हिन्दू धर्म ग्रंथों में 16 संस्कारों का वर्णन किया गया है. इन 16 संस्कारों में विवाह भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण संस्कार है. हिंदू धर्म में शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है. भारतीय हिन्दू दर्शन में विवाह दो व्यक्तियों के बीच एक अनुबंध नहीं है बल्कि एक ऐसी संस्था है जिसके माध्यम से पति-पत्नी […]

Sarvan Kumar 01/04/2023

खत्री  (Khatri) मूल रूप से दक्षिण एशिया में पाई जाने वाली एक जाति है. यह मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम-उत्तरी भाग में निवास करते हैं. खत्री समाज का इतिहास प्रभावशाली, गौरवशाली और स्वर्णिम रहा है. मध्यकाल और ब्रिटिश हुकूमत के अंत से लेकर अब तक तक इस समाज की हर क्षेत्र जैसे-व्यवसाई, दुकानदार, […]

Ranjeet Bhartiya 31/03/2023

किसी जाति या समुदाय के लिए किसी भी क्षेत्र में ऊंचा मुकाम हासिल करना बहुत महत्वपूर्ण होता है. इससे उस समुदाय की पहचान मजबूत होती है और उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है. साथ ही आने वाली पीढ़ी को जीवन में कुछ बड़ा करने की प्रेरणा भी मिलती है. प्राचीन काल से ही भारत की सामाजिक संरचना […]