
Last Updated on 19/07/2022 by Sarvan Kumar
कुर्मी समाज का देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. यह बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड आदि राज्यों में काफी प्रभावी हैं. आइए जानते हैं राजस्थान में कुर्मी जाति की जनसंख्या कितनी है-
राजस्थान में कुर्मी जाति की जनसंख्या
राजस्थान में इन्हें कुनबी, कालबी, कलबी, पटेल, कुलमी आदि नामों से जाना जाता है. परंपराओं के अनुसार, कालबी (कलबी) शब्द की उत्पत्ति कुर्मी या कुनबी से हुई है, जो कालांतर में भ्रष्ट होकर कालबी (कलबी) बन गया. आबादी की बात करें तो राजस्थान में अंतिम बार जातिगत आधार पर जनगणना साल 1931 में अंग्रेजों के शासनकाल में हुई थी. इसके बाद से अब तक राज्य में जातिगत जनगणना नहीं हुई. लेकिन विभिन्न जातियां अपनी-अपनी संख्या को लेकर अलग-अलग दावे करती रहती हैं. यह दावे मुख्य रूप से अनुमान पर आधारित होते हैं. अलग-अलग दावों में विभिन्न जातियों की अलग-अलग संख्या बताई जाती है. समय के साथ विभिन्न जातियों का प्रभाव और जनसंख्या घटती-बढ़ती रही है. इसीलिए राजस्थान में कुर्मी जाति (और अन्य सामान्य और ओबीसी वर्ग की जातियों) की सही जनसंख्या के बारे में बताना मुश्किल है. लोगों में अपने जाति की आबादी को लेकर उत्सुकता है इसीलिए देश में जातीय जनगणना की मांग लंबे अरसे से की जा रही है. लेकिन फिर भी अगर हम राजस्थान में कुर्मी जाति की जनसंख्या के बारे में अनुमान लगाना चाहते हैं तो इसके लिए विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जातीय आंकड़ों का विश्लेषण करना पड़ेगा. “आज तक” में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में हिंदुओं की आबादी 89% है. मुस्लिम 9 फ़ीसदी और अन्य धर्म के लोग 2% हैं. राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी क्रमश: 18% और 13% है. प्रदेश में जाट 12%, गुज्जर और राजपूत 9-9 प्रतिशत, ब्राह्मण और मीणा की आबादी 7-7 फीसदी, और माली 4 फीसदी हैं. अगर इन सभी को जोड़ दें तो यह राजस्थान में 79% हिंदू आबादी का गठन करते हैं. यानी शेष 10% में कुर्मी सहित अन्य हिंदू जातियां हैं. इससे संकेत मिलता है कि शायद राजस्थान में कुर्मी जाति की जनसंख्या ज्यादा नहीं है. बता दें कि राजस्थान में कुल 272 जातियां हैं. राज्य में कुर्मी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया है. प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग में कुल 51 जातियां शामिल है. राज्य में जाट, गुर्जर और माली को भी पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है. भारत में जातिगत समीकरणों के आधार पर हीं राजनीतिक पार्टियां चुनावी रणनीति बनातीं हैं. अन्य राज्यों के तरह राजस्थान की राजनीति भी हमेशा से जातियों के इर्द गिर्द रही है. राजस्थान की राजनीति में जाट, गुर्जर, राजपूत, ब्राह्मण, मीणा आदि जातियां बहुत प्रभावी हैं. राजनीतिक दृष्टि से, राजस्थान में कुर्मी जाति की बिहार झारखंड या उत्तर प्रदेश जैसी स्थिति नहीं है. चुनावी राजनीति में प्रभावी होना उस जाति के संख्या बल को दर्शाता है. इस विश्लेषण से ऐसा प्रतीत होता है कि शायद राजस्थान में कुर्मी जाति की बहुतायत आबादी नहीं है. हालांकि, कुर्मी जाति की वास्तविक जनसंख्या के लिए आपको जातीय जनगणना का इंतजार करना पड़ेगा.
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